Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 24
________________ अउण-अंकुडग संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अउण वि [एकोन] जिसमें एक कम हो बत्तीस प्रशस्त लक्षणों में से एक । आसन वह । ठ्ठि स्त्री [°षष्टि] उनसाठ, ५९।। -विशेष । पुन. एक देव-विमान । °कण्ड पुंन. °त्तरि स्त्री [°सप्तति] उनसत्तर, ६९।। [काण्ड] रत्नप्रभा पृथ्वी के खर-काण्ड का °त्तीस स्त्रीन [°त्रिंशत्] उनतीस, २९ ।। एक हिस्सा, जो अंक रत्तों का है । °सट्ठि स्त्री [°षष्टि] उनसाठ, ५९ । अरेल्लुग, करेल्लुअ पुं [करेल्लुक] पन्न, वन्न स्त्रीन [पञ्चाशत् उनपचास, पानी में होनेवाली एक जाति की वनस्पति । ४९ । देखो एगण । टिइ स्त्री [°स्थिति] अंक रेखाओं की अउणतीसइ स्त्री देखो अउण-त्तीस। विचित्र स्थापना, ६४ कलाओं में से एक अउणप्पन देखो अउणापन्न । कला। °धर पु चन्द्रमा । °धाई स्त्री अउणासट्टि देखो अउण-सट्ठि। [°धात्री] पाँच प्रकार की धाई-माताओं अउणोणिउत्ति स्त्री [अपुननिवृत्ति] अन्तिम | में से एक, जिसका काम बालक को उत्संग निवृत्ति, मोक्ष । में ले उसका जी बहलाना है । °लिवि स्त्री अउण्ण न [अपुण्य] पाप । वि. अपवित्र । [लिपि] अठारह लिपियों में की एक लिपि, पापी। वर्णमाला-विशेष । वणिय पु [°वणिक्] अउम देखो ओम। अंक-रत्नों का व्यापारी । वालि,°वाली स्त्री अउमर वि [अद्मर खानेवाला, भक्षक । [°पालि, पाली] आलिंगन । हर देखो अउल वि [अतुल] असाधारण, अद्वितीय । । धर । अउलीन वि [अकुलीन] कुल-हीन, कुजाति, अंक [दे अङ्क] समीप । संकर । अंककरेलुअ देखो अंक-करेल्लुअ। अउव्व वि [अपूर्व] अनोखा, अद्वितीय । अंकण न [अङ्कन] चिह्नित करना । बैल अउस पुं [दे] उपासक, पुजारो । आदि पशुओं को लोहे की गरम सलाई आदि अए अ [अये] आमन्त्रण-सचक अव्यय । से दागना । वि. अंकित करनेवाला, गिनती अओ अ [अतस्] यहाँ से लेकर । इसलिए । में लानेवाला। अओ° [अयस्] लोह । °घण पु [घन] अंकदास पु [अङ्कदास] बालक को उत्संग लोहे का हथौड़ा । °मय वि लोहे की बनी में लेकर उसका जी बहलानेवाला नौकर । हुई चीज । मुह पुं [°मुख] इस नाम का अंकवाणिय देखो अंक-वणिय । अन्तर्वीप और उसके निवासी । वि. लोहे की अंकार पु[दे] सहायता । माफिक मजबूत मुंह वाला । °मुही स्त्री अंकावई स्त्री [अङ्गावती] महाविदेह क्षेत्र [°मुखी] एक नगरो। के रम्य नामक विजय की राजधानी । मेरु अओग्ग वि [अयोग्य] नालायक । की पश्चिम दिशा में बहती हुई शीतोदा अओज्झा देखो अउज्झा। महानदी की दक्षिण दिशा में वर्तमान एक अं अ [दे] स्मरण-द्योतक अव्यय । वक्षस्कार पर्वत । अंक पुं [अङ्क] उत्संग। रत्न की एक जाति । अंकिअ न [दे] आलिंगन । नौ को एक संख्या । संख्या-दर्शक चिह्न अंकिअ वि [अङ्कित] चिह्नित । १, २, ३ । नाटक का एक अंश । सफेद अंकिइल्ल पु [दे] नट, नर्तक । मणि को एक जाति । चिह्न। मनुष्य के अंकुडग पु [अङ्कुटक] नागदन्तक, खूटी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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