Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 22
________________ अइमुंक-अइवय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अइमुक । पृ [अतिमुक्त] स्वनाम ख्यात एक । अइरत्त पुं [अतिरात्र] अधिक तिथि । अइमुंत | अन्तकृद् ( उसी जन्म में मुक्ति | अइरत्त वि [अतिरक्त] गाढा लाल । विशेष अइमुत्त ) पानेवाला ) जैन मुनि, जो पोलास- रागी। कंबलसिला, कंबला स्त्री पुर के राजा विजय का पुत्र था। [°कम्बलशिला, कम्बला] मेरु पर्वत के और जिसने बहुत छोटी ही उम्र में पांडुक वन में स्थित एक शिला, जिसपर भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली | जिनदेवों का जन्माभिषेक किया जाता है । थी। कंस का एक छोटा भाई । | अइरा । स्त्री [अचिरा] पाँचवें चक्रवर्ती वृक्षविशेष । माधवी लता। न. | अइराणी । और सोलहवें तीर्थंकर-देव की अन्तगड़दसा नामक अंग-ग्रन्थ का | माता। एक अध्ययन । अइराणी स्त्री [दे] इन्द्राणी। सौभाग्य के अइय वि [अतिग] अतिक्रान्त, करनेवाला, ___ लिए इन्द्राणी-व्रत करनेवाली स्त्री । प्राप्त । अहरावण पुं ऐरावण] इन्द्र का हाथी । °अइय वि [दयित] प्रिय, प्रीतिपात्र । दया अइरावय पुं [ऐरावत] इन्द्र का हाथी । करने योग्य । अइराहा स्त्री [ अचिराभा ] बिजली। अइयच्च देखो अइगच्छ अइरि न [अतिरि | धन या सुवर्ण का अतिअइयण न [अत्यदन] अधिक भोजन करना । __ क्रमण करनेवाला, धनाढ्य । अइयय वि [अतिगत] गया हुआ । अइरिंप पुं [दे] कथाबन्ध, बातचीत, कहानी । अइयर सक [अति + चर्] उल्लंघन करना । अइरित्त वि [अतिरिक्त] अवशिष्ट । अधिक । व्रत को दूषित करना। °सिज्जासणिय वि[शय्यासनिक] लम्बीचौड़ी अइया सक [अति + या] जाना, गुजरना । शय्या और आसन रखने वाला(साधु)। अइया स्त्री [अजिका] बकरी । अवरूव वि [अतिरूप] सुरूप, सुडौल । पुं. °अइया स्त्री [दयिता] स्त्री, पत्नी । भूत-जातीय देवविशेष । अइयाण न [अतियान] गमन, गुजरना । राजा अइरेइय वि [अतिरेकित] अतिरेक-युक्त, वगैरह का नगर आदि में धूम-धाम से प्रवेश | अतिप्रभूत । करना । अइरेग पु [अतिरेक आधिक्य, अतिशय । अइयाय वि [अतियात] गया हुआ, गुजरा | अइरेय देखो अइरेग। हुआ। अइव अ [अतीव] अतिशय । अइयार पुं [अतिचार] उल्लंघन, अतिक्रमण । अइवट्टण न [अतिवर्तन] उल्लंघन । गृहीत व्रत या नियम में दूषण लगाना । अइवत्त सक [अति + वृत्] अतिक्रमण करना । अइर अ [अचिर] शीघ्र । अइवत्तिय वि [अतिव्रतिक] जिसका उल्लंघन अइर न [अजिर] आंगन, चौक । किया गया हो वह । प्रधान। उल्लंघन अइर पुं [दे] आयुक्त, गांव का राजनियुक्त करनेवाला । मुखिया । अइवय सक [अति+वृत्] उल्लंघन करना । अइर न [दे. अतर] देखो अयर = अतर । | अइवय सक [अति + व्रज्] उल्लंघन करना। अइर वि [दे] अतिरोहित ।। | संमुख जाना । प्रवेश करना । अइरजुवइ स्त्री (दे) दुलहिन । | अइवय सक [अति + पत्] उल्लंघन करना । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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