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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
अ पुं प्राकृत-वर्ण-माला का प्रथम अक्षर । विष्णु, अइंछ देखो अइंच ।। कृष्ण ।
अइंत वि [अनायत्] नहीं आता हुआ। जो अ देखो च अ।
जाना न जाता हो। अ [दे] देखो इव ।
अइंदिय वि [अतीन्द्रिय] इंद्रियों से जिसका °अ अ इन अर्थों का सूचक अव्यय-निषेध । ज्ञान न हो सके वह । विरोध, उल्टापन । अयोग्यता, अनुचितपन । अइंमुत्त देखो अइमुत्त। अल्पता । अभाव । भेद । सादृश्य । बुरापन ।। अइकम अक [अतिक्रम्] गुजरना, बीतना । लघुपन ।
देखो अइक्कम = अति + क्रम् । °अ पुं [क] सूर्य । अग्नि । मोर । न. पानी । अइकाय पुं [अतिकाय] महोरग-जातीय शिखर, टोंच । मस्तक ।
देवों का एक इन्द्र । रावण का एक पुत्र । °अ वि [°ज] उत्पन्न ।
वि. बड़ा शरीरवाला । अअंख वि [दे] स्नेह-रहित, सूखा ।
अइक्कत वि [अतिक्रान्त] अतीत । तीणं । अअर देखो अवर।
जिसने त्याग किया हो वह । अअर देखो आयर।
अइक्कम सक [अति + क्रम्] उल्लंघन करना । अइ अ [अयि] संभावना और आमन्त्रण अर्थ
व्रत-नियम का आंशिक रूप से खण्डन करना। का सूचक अव्यय ।
अइक्ख वि [अतीक्ष्ण] तीक्ष्णतारहित । अइ अ [अति] इन अर्थों का सूचक उपसर्ग । | अइक्ख वि [अनीक्ष्य] अदृश्य । अतिशय। उत्कर्ष, महत्त्व । पूजा, प्रशंसा। अइगच्छ । अक [अति + गम्] गुजरना, अतिक्रमण । ऊपर, ऊँचा । निन्दा । अइगम ) बीतना । सक. पहुँचना । प्रवेश अइ अ [अति] सामर्थ्य-सूचक अव्यय । करना । उल्लंघन करना । गमन करना । अइ सक [आ + इ] आगमन करना, आ अइगमण न [अतिगमन] प्रवेश-मार्ग । गिरना ।
उत्तरायण । अइइ स्त्री [अदिति] पुनर्वसु नक्षत्र का | अइगय वि [दे] आया हुआ। जिसने प्रवेश अधिष्ठाता देव ।
किया हो वह । न. मार्ग का पिछला भाग । अइइ सक [अति + इ] उल्लंघन करना । | अइगय वि [अतिगत] अतिक्रान्त, गुजरा हुआ। गमन करना । प्रवेश करना ।
अइगय वि [अतिगत] प्राप्त । अइउट्ट वि [अतिवृत्त] अतिगत, प्राप्त । अइचिरं अ [अतिचिरम्] बहुत काल तक । अइंच सक [अति + अञ्च] अभिषेक करना, अइच्च अइइ = अति + इ का संकृ । स्थानापन्न करना। उल्लंघन करना। अइच्छ सक [गम्] जाना, गमन करना । आकर्षित करना । अक. दूर जाना । । अइच्छ सक [अति + क्रम्] उल्लंघन करना ।
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