Book Title: Prakaran Sangraha
Author(s): Jaina Publishing Company
Publisher: Jaina Publishing Company
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________________ *90.8000069-36996-1996-19.158 5.9.10.10.109089.10.10. // वसन्ततिलकावृत्तम् // चंडानिलस्फुरितमब्दचयं दवार्चि, क्षत्रज तिमिरमंमलमबिंबम् / वज्रं महीध्रनिवहं नयते यथाऽन्तं, वैराग्यमेकमपि कर्म तथा समग्रम् // 50 // // शिखरिणीवृत्तम् // नमस्या देवानां चरणवरिवस्या शुनगुरो,-स्तपस्या निःसीमक्रमपदमुपास्या गुणवताम् / . निषद्याऽरण्ये स्यात् करणदमविद्या च शिवदा, विरागः क्रूरागावपण निपुणोऽन्तः स्फुरति चेत् // 1 // . ॥शार्दूलविक्रीमितम् // जोगान् कृष्णनुजंगनोगविषमान् राज्यं रजःसंनिनं, बन्धून् बन्धनिबन्धनानि विषयग्रामं विषानोपमम् / भूति जूतिसहोदरां तृणमिव स्त्रैणं विदित्वा त्यजन् ,तेष्वासक्तिमनाविलो विझलते मुक्ति विरक्तः पुमान् एशा // उपजातिवृत्तम् // जिनन् पूजा गुरुपर्युपास्तिः, सत्त्वानुकंपा शुलपात्रदानम् / गुणानुरागः श्रुतिरागमस्य, नृजन्मवृत्तस्य फलान्यमूनि // ए३ // 966%99%999.89961909.etreta.eta.Cl866..ckseD018

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