Book Title: Prakaran Sangraha
Author(s): Jaina Publishing Company
Publisher: Jaina Publishing Company
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________________ // अथ नवमोऽध्यायः॥ PAGGIC-CGGEGUSAGROTHODTECH CindererteJAPTERNET आस्रवृनिरोधः संवरः // 1 // स गुप्तिसमितिधर्मानुप्रेक्षापरीषहजयचारित्रः // तपसा निर्जरा च // 3 // सम्यग्योगनिग्रहो गुप्तिः // 4 // यानाषणादाननिक्षेपोत्सर्गाः समितयः // 5 // नत्तमः कमामार्दवावशौचसत्यसंयमतपस्त्यागाकिंचन्यब्रह्मचर्याणि धर्मः // 6 // अनित्याशरणसंसारकत्वान्यत्वाशुचित्वास्रवसंवर निर्जरालोकबोधिळजधर्मस्वाख्याततत्त्वानुचिन्तनमनुमेक्षाः // 7 // मार्गाच्यवननिर्जरार्थ परिषोढव्याः परीषहाः॥ // कुत्पिपासाशीतोष्णदेशमशकनाग्न्यारतिस्त्रीचर्यानिषद्याशय्याक्रोशवधयाचनासानरोगतृणस्पर्शमलसत्कारपुरस्कारप्रज्ञाज्ञानादर्शनानि // ए // सूक्ष्मसंपरायच्छयस्थवीतरागयोश्चतुर्दश // 10 // एकादश जिने // 11 // वादरसंपराये सर्वे // 1 // ज्ञानावरणे प्रज्ञाज्ञाने // 13 // दर्शनमोहान्तराययोरदर्शनालानौ // 14 // चारित्रमोहे नाग्न्यारतिस्त्रीनिषद्याक्रोशयाचनासत्कारपुरस्काराः // 15 ॥-वेदनीये शेषाः // 16 // एकादयो नाज्या युगपदेकोनविंशतः॥ 17 // सामायिकच्छेदोपस्याप्यपरिहारविशुद्धिसूदमसंपराययथाख्यातानि चारित्रम् // 10 // अनशनावमौदर्यवृत्तिपरिसंख्यानरसपरित्यागविविक्तशय्यासनकायक्लेशा बाह्यं तपः॥ 15 // प्रायश्चित्तविनयवैयांवृत्यस्वा DEHCHHereeMeTORSCIRCC CerCHHeaeelaeroiewereintered usic... B

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