Book Title: Prakaran Sangraha
Author(s): Jaina Publishing Company
Publisher: Jaina Publishing Company

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Page 28
________________ " // सिन्दूरप्रकर॥ // श्रीमउमास्वातिविरचितम् // // तत्वार्थाधिगमसूत्रम् // BJAPANINETSGATEG-OF-Sitercode:-406Geeperce ॥प्रथमोऽध्यायः॥ सम्यग्दर्शनझानचारित्राणि मोक्षमार्गः 1 / तत्वार्थश्रधान सम्यग्दर्शनम् / तनिसर्गादधिगमात्रा // 3 / / जीवाजीवास्रवबन्ध संवर निर्जरामोक्षास्तत्त्वम् / / 4 // नामस्थापनापव्यनावतस्तन्न्यासः॥५॥ प्रमाणनयर धिगमः // 6 // निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरण स्थितिविधानतः // 7 // सत्संख्यात्रिस्पर्शनकालान्तरनावाटपबहुत्वैश्च / / 7 / / मतिश्रुतावधिमनःपर्यायकेवलानि ज्ञानम् // ए॥ तत्प्रमाणे // 10 // आये परोकम् // 11 // प्रत्यक्कमन्यत् // 1 // मतिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ताजिनिबोध इत्यनान्तरम्॥१३॥ तदिन्छियानिन्जियनिमित्तम् // 14 // अवग्रहापायधारणाः // 15'' बहुबहुविधतिमानिश्रितानुक्तध्रुवाणां सेतराणाम् // 16 // अर्थस्य // 17 ॥व्यञ्जनस्यावग्रहः // 10 // न चक्षुरनिन्द्रियान्याम्॥१॥ 6. GEOGGESBIEACCIDCerts-SeeGGAGECONDA

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