Book Title: Pragnapanopangamsutram Part 01
Author(s): Malaygiri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 710
________________ प्रज्ञापनायाः मल य० वृत्तौ. ॥३५२॥ Jain Education International हंता गो !, कण्हलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेसु पुढविकाइएस उववज्जति, सिय कण्हलेसे उववट्टर सिय नीललेसे उववहह सिय काउलेसे उवबट्टइ सिय जल्लेसे उववज्जति सिय तल्लेसे उववट्टइ, एवं नीलकाउलेस्सासुवि, से नूणं भंते ! ( तेउल्लेसे पुढवीकाइए ) तेउलेस्सेसु पुढविकाइएसु उववज्जइ पुच्छा, हंता गो० !, तेउलेस्सेसु पुढविकाइएसु उववजह, सिय कण्हलेसे वह सिय नीललेसे उववट्टइ सिय काउलेसे उववहह तेउलेसे उववजह नो चेव णं तेउलेसे उववहह, एवं आउकाइया वणस्सइकाइयावि, तेऊवाआ एवं चैव, नवरं एतेसिं वेउलेस्सा नत्थि, बितियचउरिंदिया एवं चैव तिसु लेसासु, पंचेंद्रियतिरिक्खजोगिया. मणुस्सा य जहा पुढविकाइया आदिल्लिया तिसु लेसासु भणिया तहा छसुवि लेखासु भा०, नवरं छप्पि लेस्साओ चारेयवाओ । वाणमं० जहा असुरकु०, से नूणं भंते ! तेउलेस्से जोइसिए तेउलेस्सेसु जोइसिएस उवव० जहेब असुरकु०, एवं वेमाणियावि, नवरं दोहंपि चयंतीति अभिलावो । से नूणं भंते! कण्हलेसे नीललेसे काउलेसे नेरइए कण्हलेसेसु नीललेसेस काउलेंसेसु नेरइएस उवव० कण्ह० नील० काउले उववहह जल्लेसे उवव० तल्लेसे व १, हंता गो० !, कण्हनीलकाउलेसे उववज्जइ जल्लेसे उववजह तल्लेसे उववहह, से नूणं भंते ! कण्हलेसे जाव तेउलेस्से असुरकुमारे कण्हलेसेसु जाव तेउलेसेसु असुरकुमारेसु उववज्जह, एवं जहेव नेरइए तहा असुरक्कुमारावि जाव थणियकुमारावि, से नूणं भंते ! कण्हलेसे जाव तेउलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेसु जाव तेउलेसेसु पुढविकाइएसु उववजह १, एवं च्छा जहा असुरकुमाराणं, हंता गो० !, कण्हलेसे जाव तेउलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेसु जाव ते लेसेस पुढविकाइए सु सिय कण्हलेसे उबवह सिय नीललेसे सिय काउलेसे उबट्टइ सिय जल्लेसे उबवजह तल्लेसे उववहह, वेउलेसे उबवर नो For Personal & Private Use Only १७ लेश्या पदे उद्देशः ३ ॥३५२॥ www.jainelibrary.org

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