Book Title: Pragnapanopangamsutram Part 01
Author(s): Malaygiri, 
Publisher: Agamoday Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 726
________________ प्रज्ञापनायाः मलय० वृत्तौ. तु लेश्याद्रव्याणि आभवक्षयमवस्थितानि यत्तदन्यलेश्याद्रव्यसंपर्कत आकारमात्रं तदत्रैव वक्ष्यते । तत उक्तः परिणामलक्षणाधिकारः, अधुना वर्णाधिकारमभिधित्सुराह १७लेश्यापदे उद्देशः ॥३६॥ कण्हलेसाणं भंते ! वन्नेणं केरिसिया पन्नत्ता ?, गो० ! से जहा नामए जीमूते इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कजले इ वा गवले इ वा गवलए इ वा जंबूफले इ वा अदारिद्वपुप्फेइ वा परपुढेइ वा भमरेइ वा भमरावली इ वा गयकलमे इ वा किण्हकेसरे इ वा आगासथिग्गले इ वा किण्हासोए इ वा कण्हकणवीरए इ वा कण्हबंधुजीवए इवा, भवे एतारूवे ?, गो० ! णो इणहे समहे, कण्हलेस्सा णं इत्तो अणियरिया चेव अकंतयरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुन्नतरिया चेव अमणामतरिया चेव वन्ने पन्नत्ता, नीललेस्सा णं भंते ! केरसिया वन्नेणं पन्नत्ता?, गोयमा ! से जहा नामए भिंगए इ वा भिंगपत्ते इ वा चासे इ वा चासपिच्छए इ वा सुए इ वा सुयपिच्छे इ वा सामा इ वा वणराइ इ वा उच्चंतए इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलहरवसणे इ वा अयसिकुसुमे इ वा वणकुसुमे इ वा अंजणकेसिया [इ वा कुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा नीलासोए इ वा नीलकणवीरए इ वा नीलबंधुजीवे इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा! णो इणहे समहे, एत्तो जाव अमणामयरिया चेव वन्नेणं पन्नता, काउलेस्सा णं भं०! केरिसिया वनेणं पन्नत्ता ?, गोयमा से जहानामए खदिरसारए इ वा कइरसारए इ वा धमाससारे इ वा तंबे इ वा तंबकरोडे इ वा तेवच्छिवाडियाए इ वा वाइंगणिकुसुमे इ वा कोइलच्छदकुसुमे इ वा जवासाकुसुमे इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणहे समढे, काउलेस्सा 920000000000000002 ॥३६॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752