Book Title: Pragnapanopangamsutram Part 01
Author(s): Malaygiri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 734
________________ 3 प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती. १७लेश्यापदे उद्देश: ॥३६४॥ मणामयरिया चेव तेउलेस्सा आसाएणं पन्नत्ता, पम्हलेस्साए पुच्छा, गोयमा! से जहानामए चंदप्पभा इ वा मणसिला इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा आसवे इ वा महूइ वा मेरएइ वा कविसाणए इ वा खजूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुपक्कखोतरसे इ वा अट्ठपिट्ठणिढिया इवा जंबुफलकांलिया इ वा वरप्पसन्ना इ वा [आसला ] मंसला पेसला ईसि ओढवलंबिणी इसिं वोच्छेदकडुई ईसिं तंबच्छिकरणी उक्कोसमदपत्ता वन्नेणं उववेया जाव फासेणं आसायणिजा वीसायणिजा पीणणिजा विहणिज्जा दीवणिज्जा दप्पणिज्जा मदणिज्जा सवें दियगायपल्हायणिज्जा, भवेयारूवा, गो०! णो इणढे समढे पम्हलेस्सा एतो इद्वतरिया चेव जाव मणामयरिया चेव आसाएणं पन्नता, सुक्कले० भंते ! केरिसिया आस्साएणं पन्नत्ता, गोयमा! से जहानामए गुले इ वा खंडे इ वा सक्करा इ वा मच्छंडिया इ वा पप्पडमोदए इ वा भिसकंदए इ वा पुप्फुत्तरा इ वा पउमुत्तरा इ वा आदंसिया इ वा सिद्धत्थिया इ वा आगासफालितोवमा इ वा उवमा इ वा अणोवमा इवा, भवेतारूवे ?, गोयमा ! णो इणढे समहे, सुक्कलेस्सा एत्तो इट्टतरिया चेव पियतरिया चेव मणामयरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता (सूत्रं २२७) 'कण्हलेसा णं भंते ! इत्यादि प्रश्नसूत्रं सुगम, भगवानाह-गौतम ! स लोकप्रतीतो यथानामको निम्बो वृक्षविशेषः निम्बसारो-निम्बमध्यवर्त्यवयवविशेषः 'निम्बछल्ली' निम्बत्वक् निम्बफाणितं-निम्बक्काथः कुटजोवृक्षविशेषः तस्यैव फलं कुटजफलं तस्यैव त्वक् कुटजछल्ली तस्यैव क्वाथं-कुटजफाणितं कटुकतुम्बी प्रसिद्धा तस्या 902098282920299 ४॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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