Book Title: Prachin Sazzaya Mahodadhi Sachitra Part 1
Author(s): Shah Indrachand Dhanraj Dhoka Adoni AP
Publisher: Shah Indrachandji Dhanrajji Dhokaji Adoni AP
View full book text
________________
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
अमरकुमार
अमरकुमार एक वस्त्रण लडका था वहुत गरीब था । साथ साथ बहुत सरल था । तो भी बिचारे मात पिता के अप्रिय था माता उनके पर बहुत देव धारण करती थी कभि उनको अच्छा खाना भि नही डालती थी ।
एक दिन वह जंगल मे लकड़ा काटने कु गये थे जभी जैन गुरु भगवंत के पास नवकारमंत्र पढे ।
एक दिन वहां के राजा महल बना रहे थे । लेकिन दरवाजा गिरजा रहे थे ।
तभी कोई ज्योतिबी कहना हुआ के आप एक बत्तीश लक्षणवाले बालक का होम करो, तो ही यह करो तो ही यह दरवाजा टिकेगा । जब राजाने गांव मे ढंढेरा पिटाया कि कोई अच्छा बालक होम के लिये देंगे उनको सवालाख सुवर्ण महोर दि जाएंगी। तब वह मातापिता अमर कु बिकनेको धन की लालच से यार हो गये ।
अमर बहुत रोये... बहुत अर्ज की सभि कुटुंब को बोले में तुमारी सेवा करूंगा मेरे पर कृपा करके मुझे बचाओ, मरण से छुडाओ लेकिन कोई नही बचाशके अंत में राजपुलिस पकड़ के ले चले । जब होम की प्यारी हुइ कोइ जब शरण न रहे तब जैनमुनि दिये सो नवकार मंत्र गिनने लगे एक उनके स्मरण से एक दैवी चमत्कार हुआ अनि शान्त हो गइ सिंहांसन बनाके उस पर अमरकुमारकु' बैठाये । राजा भट्ट सब गिर गये; बालक छांटा डालने से सभी सज हुवे । बादमे अमरकुमार दिक्षा ली तो भि उनकी माता उनको मार डाले ।
अतः मे समाधि भाव से मृत्यु होने से स्वर्ग मे गये...।
Jain Education International 2010_05
-धन्य अमरकुमार
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org