Book Title: Paumchariu Part 4
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 6
________________ स्नान जलसे लक्ष्मण शक्तिके प्रभावसे मुक्त हो सकता है । विशल्याका आख्यान, उसके पूर्व जन्मका वृत्तान्त, भरत द्वारा महामुनिसे पूछना, 'अनंगसरा' (जो आगामी अन्म विशल्या बनी) का वर्णन। उनहत्तरवी सन्धि २८२-२२९ राम द्वारा विशल्याको लाने के लिए, सामन्तोंको नियुक्ति, विभिन्न सामन्तों द्वारा प्रस्ताव । एक पूरे दलका प्रस्थान, उनकी यात्राका वर्णन, लकाग समद्रका वर्णन. पर्वतका वर्णन, नदीका वर्णन, (महानदी, नर्वदा ) विन्ध्याचलमें प्रवेश, उज्जन पारियाव होते हुए मालव जनपदमें प्रवेश, मालव जनपदका वर्णन, अयोध्यानगरीमें प्रवेश, उसका वर्णन, भरत से दलके नेता भामण्डलकी भेंट, लक्ष्मणफे शक्तिसे आहत होनेपर, भरतको प्रतिक्रिया, भरतका विलाप, अपराजिताका कन्दन, विशल्याके पिलासे निवेदन, विशल्याका वर्णन आगन्तुक दल द्वारा, विशल्याका का युद्ध शिविरमें आना, उसके तेजसे शक्तिका लक्ष्मण के शरीरसे निकलकर भागना, लक्ष्मणका विशस्याके सुगन्धित बलसे लेप । रामकी सेनामें नवीन हलघल, सचेतम होनेपर लक्ष्मणका विशल्याको देखना, उसके रूपका चित्रग, विवाह । सत्तरवी सन्धि २३०-२४७ वृक्ष के रूपकमें प्रभावका वर्णन, लक्ष्मणके जीवित होमेको खबर पाकर रावणका आग-बबूला होना, मन्दोदरीका अपने पतिको समझाना, मन्त्रियों द्वारा मन्दोदरीको प्रांखा, रावण पर इसकी उलटी प्रतिक्रिया, रावण द्वारा रामके सम्मुख दुप्तक

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