Book Title: Paumchariu Part 4
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 5
________________ छियासठवीं सन्धि १४८-१६७ सूर्योदय होनेपर पुनः पुख, दोनों सेनाओं का वर्णन, सैनिकोंसे आहत धूलका वर्णन, सैनिकों के घायल होने का वर्णन । नल और नील द्वाग युद्ध के मैदानमें आकर अपने पक्षको स्थिति संभालना । रावणका गृह में प्रवेष, विभीषणसे उसको दोदो बातें । विभीषगका रावणको खरी-खोटी सुनाना, दोनों भाइयों में संघर्ष, विविध शस्त्रोंका प्रयोग, विद्याओंका प्रयोग, सवण द्वारा शक्तिका प्रमोग, लक्ष्मणका शक्तिसे आहत होना, रामकी रावणसे भिड़न्त, अप्सराएं यह देखकर प्रसन्न पी। संन्या गा गुदनी जोगा. मग जमणके आहत होनेपर विलाप । सरसठवीं सन्धि १६८-१८५ सेनाकी पशा देखकर राम द्वारा विलाप, संयास्पी निशाचरीका वर्णन, राम द्वारा लक्ष्मणका गुणानुवाद, अभागिनी सीतादेवीको लक्ष्मणके आहत होनेकी खबर लगना, एक निशाचर द्वारा सीताको पुनः रावणके पक्षमें फुसलाना। रावण द्वारा सांध्यकालीन युद्ध समाभिपर अपने सैनिकों को खोज-सर, मृत सामन्तोंके प्रति उसकी समवेदना और परपात्ताप । राम द्वारा अपने सैनिकों को समझामा, राम द्वारा शत्रुसंहारको प्रतिमा, पाम्यूहकी रचना । माहत लक्ष्मगकी पर्चा । अड़सठवीं सन्धि १८६-२०१ लक्ष्मणके वियोगमें फरुण विलाप, राजा प्रतिबन्द्रका मागमन, उसके द्वारा विशाल्पाका परिचय, और यह संबेद कि उसके

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