Book Title: Parmatmaprakash Author(s): Yogindudev, A N Upadhye Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal View full book textPage 8
________________ - 54 : १-५३ ] परमप्प-पयासु 44) देहि वसंते जेण पर इंदिय - गामु वसे । उव्वसु होइ गएण फुडु सो परमपु हवेइ || ४४॥ 45 ) जो जिय-करणहिँ पंचाहिँ वि पंच वि विसय मुणे । पंचहिँ वि सो परमप्पु हवेइ ॥ ४५ ॥ बंधु गवि जोइय ण वि संसारु । पंच 46) जसु परम सो परमप्पड जाणि तुहुँ मणि मिल्लिवि ववहारु ॥ ४६ ॥ 47 ) जो जाणइ सो जाणि जिय जो पेक्वइ सो पेक्खु । अंबुत वि जंपु चइ होउण तुहुँ णिरवेक्खु ॥ ४६१ ॥ 48) याभावे विल्लि जिम थक्कड़ णाणु वलेवि । पबिउ परम- सहाउ भणेवि || ४७|| 49) कम्महिँ जासु जणंतहिँ वि णिउ णिउ कज्जु सया वि । fe पि ण जणियउ हरिउ णवि सो परमप्पउ भावि ||४८ || 50) कम्म बिद्धु वि होइ गवि जो फुडु कम्मु कया वि । मुक्क कम्मुवि जो ण कया वि फुड सो परमप्पड भावि ॥ ४९ ॥ 51) किवि भणति जिउ सव्वगउ जिउ जडु के वि भणति । किवि भणति जिउ देह समु सुष्णु वि के वि भांति ॥ ५० ॥ 52) अप्पा जोइय सव्व-गउ अप्पा जडु वि वियाणि । अप्पा देह - पमाणु मुणि अप्पा सुण्णु वियाणि ॥ ५१ ॥ 53) अप्पा कम्म-विवज्जियउ केवल-णाणे जेण । लालउ वि मुणइ जिय सव्वगु बुच्चइ तेण ॥ ५२ ॥ 54) जें जिय-बोह - परिट्ठियहँ जीवहँ तुट्टइ णाणु । इंदि-जणियउ जोइया ति जिऊ जडु बि विषाणु ॥ ५३॥ 44) Wanting in TKM; A देह; C देहे ; C इंदियगाउ 45 ) A पंचहं for the last पचहि. 46 ) TKM परमत्थे, मुणइ तुहुं for जाणि तुंहुं, मणे; A मिल्लाह, TKM मेल्लवि, in the commentary of Brahmadeva and in A as well मिल्लाह, so it retained there. 47 ) Only in TKM. Kannada gloss reads पेच्छइ for पेक्खइ; in T जंपु appears like जप्पु and बहुंतु like ag; fa and sig I have read separate following the Kannada gloss, which takes अंतुबहुंतु वि and translates as amtaramgpa-bahir mga rupemappa K reads होऊण हु. 48 ) Wanting in TKM; AC णेयाभावि; C जिम्व, for जिम. णाणबलेवि. 49 ) C कम्मइ, T जणितिहि TKM .... हरिउ हि for हरिउ णवि. 50 ) TKM read second line, first pada, thus; कम्तु णिजो (or is it कम्मुणि जो ?) ण कया वि पुणु; ८ कम्मु ण जो वि कया etc. 51 ) TKM केइ for कि fa and के वि; C सन्वु गउ. 52 ) C जज विवियाणु; C सुण्णु वि जांण, TKM विजाणि. 53 ) TKM कम्मुविवज्जिउ केवलणाणे; AC लोयालोय वि; TKM सब्बगु बुज्झइ तेण 54 ) T जे...परिट्ठियहं; c ते; for ति, ... वियाणि, but K बियाणु. Jain Education International ५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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