Book Title: Parmatma Banne ki Kala
Author(s): Priyranjanashreeji
Publisher: Parshwamani Tirth

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Page 13
________________ शुभकामना संदेश साध्वी श्री प्रियरजनाश्री जी ने अपने प्रबल पुरूषार्थ से "पंचसूत्र के आधार पर परमात्मा बनने की कला" नामक पुस्तक को तैयार किया है। पंचसूत्र नामक यह ग्रन्थ अति प्राचीन है और साधक जीवन का प्रेरक रहा है, उसी के सूत्रों के आधार पर रचित प्रस्तुत पुस्तक में सामान्यजन के जीवन उपयोगी सूत्रों और अनुभवों का विस्तार से विवेचन किया गया है। तथ्यों का प्रस्तुतीकरण युक्तिपूर्वक एवं सामान्यजन को सहज रूप से समझ में आ जाए इस प्रकार से हुआ है । हमें जो मानव जीवन मिला है, उस मानव जीवन का सार इसी में हैं कि मनुष्य में मानवीय गुणों का विकास हो । प्रस्तुत पुस्तिका मानव जीवन में मानवीय मूल्यों की प्रतिस्थापना में सहयोगी बनेगी - ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है । साध्वी श्री प्रियरंजनाश्री जी प्रारम्भ से ही एक विद्या प्रेमी एवं ज्ञान गुण सम्पन्ना साध्वी रही है। उनके द्वारा किया गया यह प्रयत्न जनसाधारण को प्रेरणा दे और उस प्रेरणा के फलस्वरूप समाज में मानवीय मूल्यों का विकास हो, यही शुभेच्छा है । मैं साध्वीजी के मगंलमय जीवन की अनुमोदना करते हुए यही अपेक्षा रखता हूँ कि वे श्रुतदेवी सरस्वती की उपासना में सदैव संलग्न रहे और स्वस्थ रहकर नये नये ग्रन्थों का सजून करती रहे। इसी शुभकामनाओं के साथ.......। Jain Education International भवदीय (ই (डॉ. सागरमल जैन) प्राच्य विद्यापीठ, दुपाड़ा रोड़, शाजापुर (म. प्र. ) 465001 11 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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