Book Title: Panchpratikramansutra tatha Navsmaran Author(s): Jain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal View full book textPage 6
________________ प्रथम संस्करणमें जो अशुद्धियाँ छपनेमें रह गयीं थीं उनका संशोधन एवं अन्य आवश्यक त्रुटियोंका शोधन भी इस संस्करणमें किया गया है । इतना होने पर भी प्रमादादि दोषसे कोई त्रुटि रह गयी हो तो विद्वज्जन क्षमा करते हुए हमें सूचित करें। जिससे अगली आवृत्तिमें संशोधन किया जा सके। दिनांक वि० सं० २०२५ मार्गशीर्ष शुक्ल-१ गुरुवार २१-११-६८ निवेदकसुबोधचन्द्र नानालाल शाह ___ मंत्री जैन साहित्य विकास मण्डल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 642