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87. जादो अलोगलोगो जेसिं सब्भावदो य गमणठिदी।
दो वि य मया विभत्ता अविभत्ता लोयमेत्ता य॥
जादो अलोगलोगो जेसिं सब्भावदो
उत्पन्न हुआ अलोक और लोक जिनके अस्तित्व से
(जा) भूकृ 1/1 [(अलोग)-(लोग) 1/1] (ज) 6/2 सवि (सब्भाव) 5/1 पंचमीअर्थक 'दो' प्रत्यय अव्यय [(गमण)-(ठिदि) 1/2] अव्यय अव्यय (मय) भूकृ 1/2 अनि (विभत्त) भूकृ 1/2 अनि (अविभत्त) भूकृ 1/2 अनि (लोयमेत्त) 1/2 वि अव्यय
तथा गमन और स्थिति दोनों ही
गमणठिदी दो वि य मया विभत्ता अविभत्ता लोयमेत्ता
और
माने गये भिन्न अभिन्न लोकमात्र और
अन्वय- जेसिं सब्भावदो अलोगलोगो जादो य गमणठिदी दो वि विभत्ता य अविभत्ता मया य लोयमेत्ता।
अर्थ-जिन (धर्म और अधर्म द्रव्य) के अस्तित्व से लोक और अलोक उत्पन्न हुआ (है) तथा (जिनसे) गमन और स्थिति (होती है) (वे) दोनों ही (स्वभाव अपेक्षा) भिन्न और (प्रदेश अपेक्षा) अभिन्न माने गये (हैं) और लोकमात्र (असंख्यात प्रदेशी) (है)।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
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