Book Title: Panchastikay Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 148
________________ अणिधन अणुग्गहकर अन्तरहित उपकारी अन्य/नया अन्य अण्ण 59, 82, 88,91 44 65, 67 अण्णण्ण अण्णमण्ण पृथक परस्पर एक दूसरे में परस्पर अण्णाणि अज्ञानी अण्णोण्ण परस्पर/एक दूसरे में परस्पर/आपस में अतीद रहित अत्यंतरिद अर्थ में भिन्न अत्थिकाइय अस्तिकायिक अदिक्कंत रहित अद्ध आधा आधे का आधा/चौथाई अधमक्खा अधर्म नामवाले/नामक क्रमरहित अद्धद्ध अपक्कम अपार अनन्त अपुध अपुधब्भूद अभिन्न अपृथक बना हुआ (प्रदेशभेद-रहित) पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार (141)

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