Book Title: Panchastikay Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

Previous | Next

Page 160
________________ तम्हा इसलिये 13, 43, 50, 58, 68, 93, 95 26 इस कारण से उसी प्रकार 23, 33 66, 85, 86, 90 तहेव 9, 26, 38 वैसे ही उसी प्रकार और निश्चय ही पादपूरक इसलिए उस कारण से दिन किन्तु/तो भी किन्तु 60, 78, 89 48, 49 68, 75 दोवि 87 और दोनों ही आश्रय करके निश्चय ही पडुच्च 26 पि 62 80 पुण 30, 60 और फिर पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार (153)

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168