Book Title: Panchastikay Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 164
________________ 2. वर्णिक छंद - जिस प्रकार मात्रिक छंदों में मात्राओं की गिनती होती है उसी प्रकार वर्णिक छंदों में वर्णों की गणना की जाती है। वर्णों की गणना के लिए गणों का विधान महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक गण तीन मात्राओं का समूह होता है। गण आठ हैं जिन्हें नीचे मात्राओं सहित दर्शाया गया है । ऽ ऽ SSS ऽ ऽ । SIS । ऽ। ऽ । ऽ यगण मगण तगण रगण जगण भगण नगण सगण लक्षण - - - - ।। ऽ पंचास्तिकाय में मुख्यतया गाहा छंद का ही प्रयोग किया गया है। इसलिए यहाँ गाहा छंद के लक्षण और उदाहरण दिये जा रहे हैं। गाहा छंद के प्रथम और तृतीय पाद में 12 मात्राएँ, तथा चतुर्थ पाद में 15 मात्राएँ होती हैं। पंचास्तिकाय (खण्ड-1 ) द्रव्य - अधिकार द्वितीया में 18 (157)

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