Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
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EXTRACTS FROM MANUSCRIPTS BELONGING
तीर्थकाण्डः ८०८६ पं०९ अ०४१
श्रीगणेशाय नमः ८ आ० धर्म निर्मलहेमकुंभशिरसोयस्यामराणां गृहाः..... ___च० नागैश्चैव हता ये च ते नराः पुण्यकर्मिणः ॥
इति भट्टश्रीहृदयधरात्मजमहासांधिविग्रहिकभट्टश्रीमल्लक्ष्मीधरविरचिते कृ. त्यकल्पतरौ तीर्थकांडं समाप्तम् ॥ ग्रंथसंख्या २५२५
शुद्धिकाण्डः १०५०५४६०९ अ० ३९
___ श्रीगणेशाय नमः १० आ० वर्णादप्युचितार्जनापि भृशं शुद्धैर्यदीयैरमी.........
च० पतिघी च विशेषेण"""निंदितः।। इति भट्टश्रीलक्ष्मीधरेण विरचिते कृत्यकल्पतरौ शुद्धिकांडं समाप्तम्. ग्रंथसंख्या १२५० राजधर्मकाण्डः ११ ५०५१ ५०९ अ०५२
__ श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ११ आ० न्याये वर्मनिं यज्जगद्गुणवतां गेहेषु यतिनो..........
च० आयुरारोग्यमैश्वर्यं तदंते च सुखीभवेत् ॥ इति श्रीमद्गोविंदचंद्रमहाराजसांधिविग्रहिकश्रीलक्ष्मीधरभट्टविरचिते कृत्यकल्पतरौ राजधर्मकांडः संपूर्णः॥ संवत् १६१२
व्यवहारकाण्डम् १२५० १७०५० अ०४९ १२ आ० ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ॐ नमः शिवाय ।।
नानाशास्त्रवचोविचारचतुरप्रज्ञाबलस्थापित च० स्वऋक्थतः विभक्तानवगच्छेयुलेख्यमप्यन्तरेण तान् ॥ ___ इति भट्टहृदयधरात्मजमहासांधिविग्रहिकभट्टश्रीमलक्ष्मीधरविरचिते कृत्यकल्पतरौ व्यवहारकांडे व्यवहारकांडं समाप्तम् ॥
ग्रंथसंख्या ५०००
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