Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
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पर्युषणाकल्पटिप्पनकम्
Begins
प्रणम्य वीरमाश्चर्य से वधिं विधिदर्शकम् ||
श्रीपर्युषणाकल्पस्य व्याख्या काचिद्विधीयते || १ ॥
-- देवसेनगणिः- श्रीधर्मघोषसूरे [:] बोधित शाकंभरीनृपतिः तच्छि
ष्ययशोभद्रसूरिः तत्पादपद्ममधुपः
Ends
शेषं पूर्ववत् इति निशीथचूर्णौ दशमोदेशके भणितम् ॥
स्वपरबाधाय || ६ ||
श्री पर्युषणाकल्पटिप्पनकं समाप्तमिति ॥
कल्पसूत्रम् .....
कालिकाचार्यकथा — मागधी
|Begins
नमो वीत नामनयर वइरसी होनाम राया
Ends
|Begins
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अणसणविहिणो दिवं पत्तो कालिकाचार्यकथा सटीका
अत्थि इहेव जैबुद्दीवे दीवे भरहे वासे धारा
|| नमो वीतरागाय ॥
अयं च सांप्रतक्रमादागतोल्पातिशयश्चेति प्रतिपादनार्थं श्लोकमाह ।
Ends
सूरीपरंपरेण जावसंयं किंतु साइसउपायं |
वोछिनो कालदो सेर्ड सूररीणामार्याणां परंपरा |
अणसणविहिणो दिवं पत्तो । इति श्लोकार्थः । मं० ३७०
देवसेनगाणः
४९
४-६ १५०-५३
१६५ व २-६ ४०-५३ ल्गितप
त्राणि
२६ ४ ४०
२७
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संपूर्णम्.
संपूर्णम्.
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