Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
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|Ends
परूवर्ण वोत्थं ॥५०॥ थिरावलिया सम्मत्ता ॥ -पिंडविशुद्धिः ........
जिनवल्लभगणिः ... Beginsदेविंदवंदवंदियपयारविदेभिवंदिय जिणदेवे ॥
छामि सुविहियं पिंडविसोहि समासेण || १॥ -शोभनस्तुतिः .......
..... शोभनाचार्यः Begins
भन्यांभोजविबोधनकतरणे विस्तारिकांवलिरंभासामज नाभिनंदन महानष्टापदाभासुरैः ।। भन्या वंदितपादपद्म विदुषां संपादय प्रोज्झितारंभासामजनाभिनंदनमहानष्टापदाभासुरैः ॥ १ ॥ Ends
सरभसनतनाकनारीजनोरोजपीठालुठत्तारहारस्फुरद्रश्मिसारक्रमांभोरुहे परम वसुतरांगजारावसन्नाशितारातिभाराजिते भासिनी हारतारा बलक्षेमदा ॥
क्षणरुचिरुचिरारुचंचत्सटासंकटोत्कृष्टकंठोटे संस्थिते संकंटाद्भव्यलोकं त्वमंबांबिके
परमवसुतरां गजारावसन्ना शितारातिभा राजिते भासि नीहार तारा बलक्षेमदा || ९६ ॥
इति विचित्रयमकबंधेन शोभनस्तुतयः संपूर्णाः ॥ १७८ क्षेत्रसमासः ............ ......
१७३ / ... | ... | |Begins। नमिउण सजलजलहरनिभस्स ॥ Endsलोगो चउदसरज्जुई ८६ खेतसमासो सम्मत्तो ।।
गौतमपृच्छा Beging नमिण तित्थनाहं जाणंतो तहय गोयमो भयववं ।।
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