Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
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|Endsइय आराहणाकुलय रइयं सिरिअभयदेवसूरीहिम् ॥
भवियाणणुग्गहह सरणठं अप्पणो तय || ८६ ॥ २३७ धम्मोवएससरूवम् ........
Beginsनमिङ जिणवरवीर धीरिमहेउं खलंतखवगस्त ||
धम्मोवएससरूव कवयं उस्सग्गियं वोच्छम् ||१॥ Ends
लोक्वेक्वल्लमल्लोय ॥५४॥ -चउसरणपयन्ना -भवभावना -जीवाणुसिद्धि कुलयम् |Begins
पणमियमियं कवयण सिरिवीर Ends
तस्स नस्सइ लज्जमोहो २५ जीवाणसिद्धिकुलयं समाप्तम् १३८
धनपालपञ्चाशिका-सावचूरिः ऋषभपञ्चाशिका वा Begins
मू० जय जंतुकप्पपायव वंदाय पंकयवणस्स ।। सयलमुणिगामगामिणि तिलोयचूडामणि नमो ते ||१||
टी. नमस्तुभ्यंजंतुकल्पपादय जगति विष्टपे Ends
मू० इय ज्झाणग्गिपलीचियकम्मिधण बालबद्धिणावि मए । थुउ भवभयसमुद्दबोहित्य बोहिफलो || ५०॥ टी० आत्मनोभिधां दर्शयति धनपाल इति ।। संवत् १२६५
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धनपालः
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२९ | ... | ... | १२६५ संपूर्णम्
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