Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society

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Page 230
________________ ( 8 |Endsइय आराहणाकुलय रइयं सिरिअभयदेवसूरीहिम् ॥ भवियाणणुग्गहह सरणठं अप्पणो तय || ८६ ॥ २३७ धम्मोवएससरूवम् ........ Beginsनमिङ जिणवरवीर धीरिमहेउं खलंतखवगस्त || धम्मोवएससरूव कवयं उस्सग्गियं वोच्छम् ||१॥ Ends लोक्वेक्वल्लमल्लोय ॥५४॥ -चउसरणपयन्ना -भवभावना -जीवाणुसिद्धि कुलयम् |Begins पणमियमियं कवयण सिरिवीर Ends तस्स नस्सइ लज्जमोहो २५ जीवाणसिद्धिकुलयं समाप्तम् १३८ धनपालपञ्चाशिका-सावचूरिः ऋषभपञ्चाशिका वा Begins मू० जय जंतुकप्पपायव वंदाय पंकयवणस्स ।। सयलमुणिगामगामिणि तिलोयचूडामणि नमो ते ||१|| टी. नमस्तुभ्यंजंतुकल्पपादय जगति विष्टपे Ends मू० इय ज्झाणग्गिपलीचियकम्मिधण बालबद्धिणावि मए । थुउ भवभयसमुद्दबोहित्य बोहिफलो || ५०॥ टी० आत्मनोभिधां दर्शयति धनपाल इति ।। संवत् १२६५ ) धनपालः | २९ | ... | ... | १२६५ संपूर्णम्

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