Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society

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Page 226
________________ ४ १९ १३१८ | संपूर्णम् प्राप्य स्वातंत्र्यलक्ष्मीमनुभवतु मुर्द शास्वती भीमसेनः ।। समाप्तोयं निर्भपभीमनामा व्यायोगः कृतिरिय प्रबंधशतकमहाकवे। रामचंद्रस्य। यांदृशं पुस्तके दृष्टं तादृर्श लिखितं मया ॥ यदि शद्धमशुद्ध वा मम दोखो [षो] न दीयते || संवत् १३०६ वर्षे भाववा वदि दरवावयेहश्रीमहाराजकुलधीउदयसिंहदेवक ल्याणविजयराज्ये निर्भयभीमनामा व्यायोगो लिखित इति शुभं भवतु १२२| न्यायावतारवृत्तिटिप्पनम् .... १२० Begins नत्वा श्रीवीरमेकांतवांतविध्वसभास्करम् ।। वृत्ती न्यायावतारस्य स्मृत्यै किमपि टिप्यते ॥१॥ Endsकामजल्पविषये वीरो जिनः पातु वः || संवत् १३१८ न्यायप्रवेशपञ्जिका .... पार्श्वदेवगणिः | ११९ | Begins मू० हरिभद्रसूरिः ।। नमो नमोहेभ्यः॥ दुर्वारमारधारि [मारहरि] कुंभतटप्रभेदकठीरवं जिनपतिं वरदं प्रणम्य ।। ग्यायप्रवेशकमिति प्रथिते सुशास्त्रे प्रारभ्यते तनुधियापि हि पंजिकेयमा • • • हरिभद्राख्यसूरिनहि न शिष्ट इाते न्यायप्रवेशकाख्यशास्त्र विवरणकरप्रवर्त्तमान इष्टदेवतानमस्कारार्थ---श्लोकद्वयं चकार सम्यगित्यादिव्याख्या Endsलोक इति ॥ ग्यायप्रवेशपंजिका समाप्नति ।। (18) १ .-६० | १३१८ | संपूर्णम्

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