Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society

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Page 188
________________ कालिदासः ... २-१२९ | ३-६ ७५-१४२ ३ ४४ ४२ ... | अपूर्णम् ... |Begins ।। नमः सर्वज्ञाय || तेणं कालेणं तेणे समएणं समणे भगवं ।। Endsभज्जी उवदंम सेत्ति बेमि ॥ ७॥ पज्जोसवणाकप्पो सम्मत्तो अठुमज्मयणं दसासुयखंधस्स । एकैकाक्षरगणनया ग्रंथमानमिदं । एक: सहस्रो द्विशतीसमेतः श्लिष्टस्तथा षोडशभिविदंत ।। कल्पस्य संख्या कथिता---१२१६ शुभं भवतु || ६९ रघुवंशकाव्यम्-सर्ग १३ ......... ७० सावधपन्नत्ती..... Begins ।। नमो अरहताण। अरहंते वंदित्ता सावगधम्म दुवालसविहपि ।। वोछामि समासणं गुरूवएसाणुसारेणम् ।।१। Ends तहेव सुयदेवया एय ४०५ ।। सावयपन्नत्ती सम्मत्ता ॥ ७१-ध्यानशतकम्,-मागधी........ Beginsवीरं सुक्कज्माणग्गि-दढकम्भिधणं पणमिउणम् ।। जोइसरं सरणं ज्झाणमज्झयणं पवक्खामि ॥१॥ Ends ज्ञयं णेयं भेयं च---पंचोत्तरेण गाहासएण ज्झाणसय समुदिठम् ।। जिणभदखमासमणेहि कम्मविसोही करंजलणो। ज्झाणसयं सम्मत्तम् ।। ( 43 ) जिनभद्रगणि- २४३- | क्षमाश्रमणः ३ ४५| ... | संपूर्णम

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