Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
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|-पिंडविशुद्धि Begins
दोविंदवदवदियपयारविंदोभवदिय जिणदेवे वोछामि मुविहि यहियं पिंडविसोहि समासेण ||॥ Ends
इच्चेयं जिणवल्लहेण गणिणा जंपिंडनिज्जुत्तिर्ड किंची पिंडविहाणजाणणकए भव्वाणि सव्वाणिण || वृत्तं सुत्तनिउत्त मुद्धमइणा भत्तीय सत्तीयते सर्व भब्वममछरा सुयहरा बोहितु सोहिंतु यम् ॥ १०३ ॥ -संवेगमंजरी -धर्मलक्षणम् Begins, धर्मार्थ क्लिश्यते लोको न च धर्म परीक्षते ॥ कृष्णं नील सितं रक कीदृशं धर्मलक्षणम् ||१॥ Endsएष दशविधो धर्मः सर्वज्ञैः परिकीर्तितः॥ ज्ञात्वा चैव हि कृत्वा च गच्छति परमां गतिम् ।। -धर्मलक्षणं समाप्तम् || -उपदेशरत्नमालिका -आत्मानुशासनम्
योगशास्त्रस्य प्रकाशाः४..... -पन्नवणसूत्रसारोद्धारः ... Begins| तेणं कालेणं तेणे समएर्ण चंपाए नगरी पुन्नभद्दचेइप वण्णतो
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हेमचन्द्रः
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