Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society
________________
Name of Work.
| No. of | No. of
No. of | lines on letters Author's name. I leaves. each in each
page. line.
Remarks.
)
( 0
Endsइय जीवपमायमहारिवीरभदं तमेवमज्झयणम् ॥ झाएस तिसंझमवंझकारणं निइ सुहाणम् ॥ ६३ ॥ इति चतुःशरणप्रकीर्णकम् || रत्नत्रयकुलकम्-मागधी .......
मुनिचन्द्रसूरिः Begins
चंददसमज्ज [म्म लं कं [कं] पियनीसेसकुगइपायालम् ॥ मंगलकमलमरालं वंदे वीरं गुणविशालम् ||॥ Ends रयणं णनयं कुलयं मिण रइयं मुणिचंदरिणा संमम् ॥ भब्वा भविता पुण हवंति सविसुद्ध संमत्ता ॥ १ ॥ रत्नत्रयकुलकं समाप्तम् || -शत्रुजयस्तुतिश्लोकाः सप्त, धर्मरत्नशास्त्रम्-सटीकम् मू० मा० टी०सं० ..
... मू० शान्तिसूरिः २७९ / ६-८८२-८५ ... | संपूर्णम् Beginsटी० ॥ नमः प्रवचनाय॥ सइज्ञानलोचनविलोकितसर्वभाव नि:सीमभीमभवकाननदाहदावम् || विश्वाचित प्रवरभासुरधर्मरत्नरत्नाकर जिनवरं प्रयतः प्रणौमि || श्रीधर्मरत्नशास्र बहुर्थ स्वल्पशब्दसंदर्भम् ।। स्वपरोपकारहेताविवृणोमि यथाश्रुतं किंचित् ॥ २॥ इह हि हेयोपादेय
Accm. ४५
Page Navigation
1 ... 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275