Book Title: Nyayasindhu
Author(s): Nemisuri, Kirtitrai
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 5
________________ क्रमशः होय - वगेरे चर्चा विविध जैनाचार्योना मत दर्शावीने करी छे. ते पछी शक्तिवादनी चर्चा मीमांसक-नैयायिकादिना मत-मतान्तरो दर्शावीने करवामां आवी छे. ते पछी, व्यावहारिक प्रत्यक्ष तथा तदन्तर्गत अवग्रह-ईहा-अपाय-धारणादि मतिज्ञानना भेदोनुं वर्णन कर्यु छे, अने परोक्षप्रमाणना स्मृति-प्रत्यभिज्ञा व. पांच भेदोनुं वर्णन तथा तेओनुं प्रामाण्य सिन्द्र कर्यु छे. साथे ज अन्यदर्शनसम्मत उपमानादि प्रमाणोनो प्रत्यभिज्ञा व. मां समावेश कर्यो छे अने स्मृति-प्रत्यभिज्ञा व. ने नहि स्वीकारता वौद्धादि मतो- खंडन कर्यु छे. तथा, अनुमानप्रमाणनी चर्चामां हेतुओना भेदो तथा स्वरूपनुं वर्णन कर्यु छे. ते पछी, अभावोनुं वर्णन - तेना चार भेदो व. नुं निरूपण विस्तारथी कर्यु छे अने नैयायिकादि भावातिरिक्त अभावने माने छे तेनुं खंडन कर्यु छे, अने अभाव पण भावस्वरूप ज छे एम स्थापित कर्यु छे. त्यार बाद आगमप्रमाण, विशद निरूपण कर्यु छे तथा तदन्तर्गत शब्दने गुणस्वरूप मानता नैयायिकोर्नु खंडन करी तेनुं पौद्गलिकत्व सिद्ध कर्यु छे. ते पछी, सप्तभङ्गीमां सकलादेश, विकलादेश, प्रमाणसप्तभङ्गी, नयसप्तभङ्गी व. नी विस्तृत चर्चा करी छे. ते पछी, प्रमाणाभासनी चर्चा करीने प्रमाणनी चर्चा समाप्त करी छे. त्यार बाद, नयनुं निरूपण करतां नयना भेदोनुं वर्णन तथा बौद्धादि दर्शनोनो विविध नयोमा समावेश दर्शाव्यो छे. अने द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक नयोनी संख्या विशे जैनाचार्योना मतो दर्शाव्या छे. ते पछी निक्षेपर्नु संक्षिप्त वर्णन करीने ग्रंथ समाप्त कर्यो छे. कुल १३३८ श्लोकोमा पथरायेला आ ग्रंथनो मोटो भाग प्रमाणविषयक चर्चामा रोकायेलो छे. नयनी चर्चा संक्षेपमां करेल छे अने निक्षेप तो मात्र वे ज श्लोकमां वर्णव्यो छे. विशेषमां, ग्रंथना प्रारंभे आ ग्रंथनी विस्तृत विषयानुक्रमणिका आपी पूज्यश्रीओ ग्रंथनो विषयवोध जिज्ञासुओ माटे सुलभ करी आप्यो छे. ग्रंथना प्रान्तभागे श्लोकोनो अकारादिक्रम तथा विशेषनामोनी सूचि अने उद्धरण परिशिष्टरूपे मूकवामां आव्यां छे. आ ग्रंथनी रचना वि.सं. १९६६मां थयेली छे अने तेनुं प्रथम प्रकाशन वि.सं. १९८०मां थयेनुं छे. प्रान्ते, आ सम्पादनमा अमारा मतिमान्द्यने लीधे ग्रन्थकारना आशयविरुद्ध कोई सम्पादन थई गयुं होय तो ते माटे अमो 'मिथ्यादुष्कृत' आपीओ छीओ. वि.सं. २०६४ कारतक सुद-१ (शासनसम्राट जन्मदिन) कीर्तित्रयी (मुनिरत्न-धर्म-कल्याणकीर्तिविजयाः) अमदावाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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