Book Title: Nyayashiksha
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Vidyavijay Printing Press

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Page 26
________________ अनुमान - प्रमाण 1 १३ हेतु - साध्यको सिद्ध करनेवाले साधनके प्रयोगका नाम है । जैसे कि - पहाडमें आग साधते वक्त 'धूम' । उदाहरण - साध्य और हेतुका अविनाभाव संबन्ध, जहां प्रकाशित होता है, उस पाकस्थल आदि दृष्टान्तके शब्द प्रयोग को कहते हैं | उपनय - पहाड वगैरह में धूम वगैरह साधन के उपसंहार करनेका नाम है । निगमन - पहाड वगैरह में आग वगैरह साध्यके उपसंहार करनेका नाम है । ये पांच अवयव, अल्पमतिओंके लिये प्रयोग में लाये जाते हैं । बुद्धिमानोंके लिये तो प्रतिज्ञा और हेतु, ये दोही अवयव काफी हैं। हेतुका लक्षण अविनाभाव, जिस हेतुमें न हो वह, हेत्वाभास समझना चाहिये । वह हेत्वाभास, तीन प्रकारका हैअसिद्ध - विरुद्ध और अनैकान्तिक । उनमे असिद्ध वह है - जिसका स्वरूप, प्रतीतिमें न आसक्ता हो । जैसे ' शब्द अनित्य है, चाक्षुषत्व हेतुसे ' । यहां चाक्षुषत्व हेतु सिद्ध है । विरुद्ध वह है, जोकि साध्य के साथ कभी रहताही न हो । जैसे यह घोडा है, शृंग होनेसे, यहां सींग किसी घोडेमें नहीं रहनेसे विरुद्ध कहाता है । अनैकान्तिक वह है, जिसमें साध्यका अविनाभाव न ठहरा हो । जैसे 'शब्द नित्य है, वाच्य होनेसे' । यहाँ वाच्यत्वहेतु, नित्य और नित्य सभी जगहपर रहता है, इसलिये अनैकान्तिक है ।

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