Book Title: Nyayashiksha
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Vidyavijay Printing Press

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ अनुमान-प्रमाण। हो । जब यही बात है तो फिर किस कारणसे हतुके तीन या पांच लक्षण माने जाएँ। ..... साधनसे जिस साध्यका निर्णय किया जाता है, वह साध्य, तीन विशेषणोंसे विशिष्ट होना चाहिये अबाधितत्व १ अभिमतत्व २ और अनिश्चितत्व ३ । अबाधितत्व यानी किसी प्रकारका बाध नहीं, होना चाहिये । अगर अबाधितत्व विशेषण न दिया जाय तो 'आग अनुष्ण है। यह भी साध्य कहावेगा, और यह साध्य है नहीं, क्यों कि . प्रत्यक्ष प्रमाणसे, अग्नि जब उष्ण मालूम पडती है, तोप्रत्यक्ष से अनुष्णत्वका बाध ही समझा जाता है । ____ अभिमतत्व-यानी साध्य, स्वसिद्धान्तके अनुकूल होना चाहिये। ___ अनिश्चितत्व-यानी साध्यका निश्चय पहले नहीं होना चाहिये । जो वस्तु निश्चित हो चुकी है, वह साध्य कैसे हो सकती ? । अप्रतीत संदिग्ध, और भ्रम विषय ही वस्तुको निर्णय किया जाता है। इस प्रकार अनुमान दो प्रकारका है-एक स्वार्थानुमान, दूसरा परार्थ अनुमान । स्वार्थानुमान वह है-जो, खुद धूम वगैरहको देखकर अपनी आत्मामें अग्नि वगैरहका अनुमान किया जाता है। . परार्थानुमान वह है-जो कि दूसरेको जनानेके लिये “यह पहाड आगवाला है, क्यों कि-पहाडके ऊपर अविच्छिन्न धमकी शिखा दिखाई देती है ' इत्यादि रूप वाक्य प्रणाली करनेमें आती है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48