Book Title: Nyayashiksha
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Vidyavijay Printing Press

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Page 25
________________ १२ न्याय शिक्षा | जिस जगह किसी वस्तुका अनुमान करना हो, वह स्थल, प्रमाण या विकल्प अथवा उन दोनोंसे निश्चित होना चाहिये | तबही उस जगह, किसी चीजका अनुमान करना मुनासिब होता है । उनमें, प्रथम-प्रमाणसे प्रसिद्ध स्थल - पहाड वगैरह है। जिस पहाड में आगका अनुमान किया जाता है, वह पहाड, प्रत्यक्ष दिखाता है, इसलिये प्रत्यक्षप्रमाणसे सिद्ध समझना चाहिये । विकल्पसे प्रसिद्ध स्थलका उदारण - 'सर्वज्ञ है' इत्यादि । यहां सर्वज्ञ, अनुमान करनेके पहले यद्यपि निश्चित नहीं है, ater विकल्प यानी मानस अध्यवसायसे सर्वज्ञका अभिमान करके उसमें अस्तित्व साधा जाता है । प्रमाण और विकल्प इन दोनोंसे प्रसिद्ध स्थलका उदाहरण, शब्द अनित्य है ' इत्यादि । यहाँ पक्ष किये हुए शब्द सभी नहीं पाये जाते हैं । अतः जो शब्द पाये जाते हैं, वे प्रमाणसे प्रसिद्ध, और जो नहीं पाये जाते हैं, वे विकल्पसे प्रसिद्ध समझने चाहियें । एवं च सामान्यरूपसे पक्ष किया हुआ शब्द, प्रमाण विकल्प प्रसिद्ध कहलाता है । मंदबुद्धियोंको समझाने के लिये अनुमानके अंगभूत पांच अवयव माने गये हैं प्रतिज्ञा १ हेतु २ उदाहरण ३ उपनय ४ और निगमन ५ । .. उनमें, प्रतिज्ञा - जिस जगह जो वस्तु साधी जाती है, उस वस्तु सहित उस जगह के प्रयोग करनेका नाम है । जैसे 'पहाड आगवाला है ' ।

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