Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 162
________________ होना 119 130 114 भावणा आकारान्त स्त्री. 187 भावसुद्धि कर्म चिंतन आचरण भावशुद्धि प्राणी जीव भेद विशेष मार्ग मार्गणास्थान मनुष्य कामवासना मग मम्गणठाण मणुव ममत्त ममत्व इकारान्त स्त्री. 108, 112 अकारान्त पु.,नपुं. 104 126 अकारान्त पु., नपुं. 82, 106 135 अकारान्त पु. 86, 141, 186 अकारान्त पु., नपुं. 78 अकारान्त पु. 77 अकारान्त पु.,नपुं. 112 अकारान्त नपुं. 99 अकारान्त पु.,नपुं. 101, 177, 179 ईकारान्त स्त्री. 110 . इकारान्त पु. 117 अकारान्त पु., नपुं. 81 112, 115 आकारान्त स्त्री. 81 112, 115 अकारान्त नपुं. 90 अकारान्त नपुं. 91 इकारान्त पु. 116 मरण मरण भूमि महामुनि माण मान अहंकार माया माया कपट मिच्छत्त मिथ्यात्व मिच्छादसण मिथ्यादर्शन मुणि मुनि नियमसार (खण्ड-2) (155)

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