Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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183
84, 85
पज्जंत . पर्यन्त पडिकमणमअ आत्मध्यान-मय
आत्मध्यान-सहित
आत्मध्यान से युक्त पयास . प्रकाशक . (पयासय) प्रकाशित
86 87, 88 161, 171
165
पर
97,121,146, 156, 157, 161,162,163,164,171 . 109, 122, 123, 135 155
परम
परम प्राथमिक/प्रधान ' सर्वोत्तम
आदि पौराणिक
177
90,114,124,152,158
पहुदि पुराण
158
पुव्व
90, 148, 168 172, 173, 174, 175 185, 187
112
से युक्त पुव्वावर पूर्ववर्ती और परवर्ती प्पदरिसि देखनेवाला प्पयास(प्पयासय)प्रकाशक
प्रकाशित बहुणा अधिक बाहिर बाह्य भव्व भव्य
161 162, 163, 164 117 102
112
(172)
नियमसार (खण्ड-2)
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