Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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भिण्ण मज्झत्थ
भिन्न अंतरंग में स्थित
111, 162, 163 82, 111 167 107, 124, 173, 174, 177 98
रहित रहित
रहिय वज्जिद वज्जिय वदिरित्त वयणमय
रहित
177 107
भिन्न
153
वचनमय श्रेष्ठ
वर
117
उत्तम
140
रहित
145
ववगय ववसायि
जागरूक
105
वस
वश
141, 142, 143, 144, 145, 146 124
अनेक प्रकार विनाश करनेवाला भिन्न
141
170
विमल
111
विचित्त विणासण विदिरित्त विमल विरद विरहिय विवज्जिय विवरीय विहीण
125
निवृत्त रहित
178
रहित
112
विपरीत रहित
139 151, 154
नियमसार (खण्ड-2)
(173)
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