Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 172
________________ कृदन्त-कोश संबंधक कृदन्त गा.सं. 185 140, 158 83, 95, 120 91 कृदन्त शब्द अवणीय काऊण किच्चा चइऊण चइत्तु चत्ता जाणिऊण ठविऊण णच्चा 157 88 135 136 समझकर 94 अर्थ कृदन्त दूर करके संकृ करके संकृ करके संकृ अनि छोड़कर संकृ छोड़कर छोड़कर संकृ अनि जानकर संकृ स्थापित करके संकृ संकृ अनि जानकर प्राप्त करके छोड़कर छोड़कर परीक्षा करके संकृ अनि पाकर संकृ अनि छोड़कर संकृ संस्थापित करके संकृ सुनकर संकृ अनि संच 187 158 86,122, 139, 146 121 155 पडिवज्जिय परिचत्ता परिहरन्तु परीक्खऊण मोत्तूण लक्षूण वोसरित्ता संठवित्तु सोच्चा छोड़कर 83,84,85,87,89,95 157 104 109 186 नियमसार (खण्ड-2) (165)

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