Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 174
________________ 101 134 148 108, 112, 135 णीरअ पण्णत्त पन्भट्ट परिकहिय परिणद परिहीण पिज्जुत्त पिहिद 151 149 141 125 117 भणि भणिद भाविय 114, 172 कर्मरहित हुआ भूकृ अनि कहा गया भूकृ अनि दूषित भूक अनि कहा गया पूर्ण विकसित हीन भूकृ अनि कहा गया नियन्त्रित किया गया कहा गया भूकृ कहा गया चिन्तन किया भूकृ गया अत्यन्त डरा भूक अनि हुआ लीन भूकृ अनि भूक अनि कहा गया वर्णित मुक्त/छूटा हुआ भूकृ अनि अन्तर्वर्ती भूकृ अनि कहा गया भूकृ अनि से की छु जी की छ . स स स स स का भीद 105 लीण . वज्जिद वण्णिद रहित 98 94, 162, 163 183 विमुक्क सण्णिहिद समुद्दिट्ट 127 110, 183 नियमसार (खण्ड-2) (167)


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