Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 173
________________ कार्बु 119, 154 106 धरि, हेत्वर्थक कृदन्त करने के लिए हेक धारण करने हेकृ के लिए भूतकालिक कृदन्त उन्नत भूक अनि चिंतन नहीं किया भूक 152 अब्भुट्टिद अभाविय 90 गया भक 140 116 148, 168 आवण्ण उक्किट्ठ उत्त उवट्ठिद कद कहिय 187 187 139 प्राप्त किया उत्कृष्ट भूकृ अनि कहा गया भूकृ अनि स्थित भूकृ अनि रचा गया भूकृ अनि कथित कहा गया प्राप्त हुआ भूकृ अनि गया हुआ भूकृ अनि हुआ युक्त भूक अनि दृढ़तापूर्वक लगा भूक 155 135 162, 163 158 137, 138, 149 92 हुआ णिहिट्ट 89 कहा हुआ भूकृ अनि प्रतिपादित किया 185 गया (166) नियमसार (खण्ड-2)

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