Book Title: Niyamsara Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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क्रिया-कोश अकर्मक
क्रिया
अर्थ
जा
होना
प्राण धारण करना स्थिर होना
गा.सं. 101 101 125, 126, 127, 128,129, 130, 131, 132, 133
87
परिणम मर वट्ट
रूपान्तरित होना मरना प्रवृत्ति करना होना क्रियाशील होना विद्यमान रहना
150 160 179, 182
विज्ज
होना
118
विणस्स सक्क सिज्झ
106, 119, 154
नष्ट होना समर्थ होना सिद्ध होना होना
101
84, 85, 86, 87, 88, 95, 105, 116, 141, 144, 150, 156, 162, 163, 168 119,120,121,122, 123 113,137,138,139, 143
घटित होना
(160)
नियमसार (खण्ड-2)
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