Book Title: Nisihajjhayanam Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 8
________________ अन्तस्तोष जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता परमपूज्य आचार्य तुलसी ने आगम सम्पादन का महान संकल्प स्वीकार किया। उनके वाचनाप्रमुखत्व की शीतल छाया में कार्य का शुभारम्भ हुआ। परमपूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अपने प्रज्ञापरिश्रम से प्रस्तुत गुरुतर कार्य को आगे बढ़ाया। आज भी वह कार्य अविच्छिन्न रूप से चल रहा है। मैं आत्मतोष का अनुभव कर रहा हूं कि हमारे धर्मसंघ के अनेक साधु और साध्वियां इस कार्य की परिसम्पन्नता के लिए कृतसंकल्प है। __ प्रस्तुत आगम के संपादन में परमश्रद्धेय गुरुदेव तुलसी का महान् अनुग्रह रहा है। परमपूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अनुवाद, विवेचन आदि कार्य में अपना पुनीत मार्गदर्शन और अमूल्य समयनियोजन किया है। परम उपकारी गुरुद्वय के प्रति पुनः पुनः श्रद्धा प्रणति । आचार्य महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के बाद उनकी भूमिका निर्वहन करने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त प्रस्तुत आगम के सुसम्पादन में जिनका संविभाग रहा है, वह संक्षेप में इस प्रकार है संपादक और विवेचक : साध्वी श्रुतयशा सहयोगी : मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभा : साध्वी मुदितयशा : साध्वी शुभ्रयशा संविभाग हमारा धर्म है । जिन-जिन ने इस गुरुत्तर प्रवृत्ति में उन्मुक्तभाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबके प्रति मैं मंगलकामना करता हूं कि उनका भविष्य इस महान कार्य का भविष्य बने । - आचार्य महाश्रमणPage Navigation
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