Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 242
________________ निर्वाण उपनिषद मुल्ला नसरुद्दीन बीमार है। डाक्टर ने उससे कहा, जब वह ठीक हो गया दस दिन बाद, तो उसने पूछा, डिड यू फालो द इंस्ट्रक्शंस गिवेन ऑन द मेडिसिन? मुल्ला ने कहा कि नहीं, आई बिकेम आलराइट बिकाज़ आई डिडंट फालो द इंस्ट्रक्शंस एंड डिडंट फालो द मेडिसिन। डाक्टर ने कहा, मतलब। मुल्ला ने कहा, सात मंजिल ऊपर से तुम्हारी दवाई मैंने फेंकी। अगर उसके पीछे मैं फालो करूं, तो फैसला हो जाए। तुम्हारा प्रिस्क्रिप्शन भी उसी में रख दिया था। सब फेंक दिया, बच गया। अगर दवाई का पीछा करता या अनुसरण करता, तो मरते। हम जिन नियमों का अनुसरण करके जीते हैं, जिनके बिना हमें लगता है हम जी ही न सकेंगे, उसका कारण है भीतर छिपी हुई बीमारियां। बीमारियां ही न हों, तो इन नियमों का पीछा जो करेगा, मरेगा, झंझट में पड़ेगा। अगर संन्यासी नियमों का पालन करेगा, तो झंझट में पड़ेगा, रुग्ण होगा, परेशान हो जाएगा। क्योंकि जो बीमारी ही नहीं है, उसकी दवा पीता रहेगा। इसलिए ऋषि कहता है, अनियामकपन ही उनकी निर्मल शक्ति है। अब यह बहुत अदभुत बात है, निर्मल शक्ति। हम तो मानते हैं कि डिसिप्लिन क्रिएट्स फोर्स, डिसिप्लिन इज पावर। तो सब मानते हैं कि शक्ति तो अनशासनबद्ध होने में है। मिलिटी की ताकत यही है कि वह अनुशासनबद्ध है। और जितनी अनुशासनबद्ध है, उतनी शक्तिशाली है। शक्ति तो पैदा होती है अनुशासन से। यह ऋषि कहता है कि अनियामकपन ही उनकी निर्मल शक्ति है। यह कोई और ही शक्ति की बात है, पर इसमें निर्मल लगाया उसने। असल में ऐसा समझें कि अनुशासन से जो शक्ति पैदा होती है, वह दूषित होती है। और इसलिए जहां-जहां हमें दूषित शक्ति का उपयोग करना पड़ता है, वहां डिसिप्लिन थोपनी पड़ती है। चाहे वह । पुलिस हो और चाहे अदालत का कानून हो और चाहे सेना हो, जहां-जहां हमें कुछ उपद्रव खड़ा करना पड़ता है, या उपद्रव को दबाने के लिए कोई दूसरा उपद्रव उसके प्रतिकार में खड़ा करना पड़ता है, वहां-वहां दूषित शक्ति का उपयोग होता है। दूषित शक्ति तथाकथित अनुशासन से पैदा होती है। अगर हिटलर इस दुनिया में इतना उपद्रव कर सका, तो वह जर्मन कौम की अनुशासित होने की क्षमता की वजह से। भारत में हिटलर पैदा नहीं हो सकता। लाख उपाय करे वह, यहां उपद्रव वह नहीं करवा सकते, क्योंकि अनुशासन ही पैदा करवाना मुश्किल है। जर्मन कौम की जो प्रतिभा है, वह यह है, अनुशासित होने की क्षमता। इसलिए जर्मन कौम से सदा खतरा रहेगा अभी। वह कभी भी उपद्रव में पड़ सकता है। क्योंकि कोई भी अगर ठीक से आवाज दे, तो जर्मन कौम अनुशासित हो सकती है। वह उसके खून में और हड्डी में समा गया है। हम भारतीय हैं, हमारी खून और हड्डी में अनुशासन नहीं है। उसके कारण, वह सौभाग्य है ऐसे, क्योंकि उसकी वजह से हमने भला कितने दुख सहे हों, लेकिन हमने किसी को दुख नहीं दिया। हमने भला कितनी गुलामी सही हो, लेकिन हम किसी को गुलाम बनाने नहीं गए। उसके जाने के लिए बहुत अनुशासित होना जरूरी है। वह काम हमसे नहीं हो सकता। और उसका कारण क्या है कि इस मुल्क में अनुशासन नहीं पैदा हुआ? उसका कारण है कि इस मुल्क का जो श्रेष्ठतम व्यक्ति था, वह अनुशासनमुक्त था। और श्रेष्ठतम को देखकर लोग चलते हैं। 17232

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