Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 276
________________ निर्वाण उपनिषद उसने लिखा कि ही वाज़ ए ग्रेट मैन, ए वेरी रेयर जीनियस, बट प्रोवाइडेड ही इज़ रिअली डेड। बहुत महापुरुष था वह, बड़ा प्रतिभाशाली था, लेकिन अगर मर गया हो तो। अगर जिंदा हो, तो यह वक्तव्य मैं नहीं दे सकता हूं। मर जाए आदमी, तो फिर अच्छा हो जाता है। यही तो दुख है दुनिया का कि मरा हुआ आदमी अच्छा होता है और जिंदा आदमी बुरा होता है। यह जो हम भलाई का जाल खड़ा किए हुए हैं, उसके भीतर हम अहंकार को ही पोषण करके खड़ा कर पाते हैं। अगर बच्चे को शिक्षित करना है, तो उसे प्रथम लाना पड़ता है, गोल्ड मेडल देना पड़ता है। अगर शिक्षित करना है, तो उसके अहंकार को तृप्त करना पड़ता है, उसे विशेषता देनी पड़ती है। फिर उपद्रव होते हैं। लेकिन समाज अब तक इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं खोज पाया है। और यह बहुत बदतर रास्ता है। ऋषि कहता है कि संन्यासी तो शुभ के भी पार चला जाता है। अशुभ के पार तो चला ही जाता है, शुभ के भी पार चला जाता है। अंग्रेजी में तीन शब्द हैं-एक शब्द है इम्मारल, अनैतिक; एक शब्द है मारल, नैतिक; एक शब्द है एमारल, नीति-मुक्त या अतिनैतिक। संन्यासी इम्मारल तो होता ही नहीं, मारल भी नहीं होता; एमारल होता है। वह न तो नैतिक होता है, न अनैतिक होता है; वह नीति-मुक्त होता है। लेकिन इस तीसरी सीढ़ी तक पहुंचने के लिए अनीति को छोड़कर नीति में और नीति को छोड़कर अतिनीति में प्रवेश करना होता है। ____इसलिए ऋषि बहुत इंच-इंच आगे बढ़ रहा है। पीछे की सब बातें खयाल रखेंगे, तो ही ये सूत्र समझ में आएंगे, जो आगे आ रहे हैं, अन्यथा समझ में नहीं आएंगे। ये सूत्र अलग-अलग नहीं हैं, पीछे की पूरी श्रृंखला से बंधे हुए हैं। तो ऋषि कहता है, वह दो काम में लगा रहता है, एक तो तीन गुणों के पार जाने की सतत चेष्टा करता रहता है। और दूसरी, भ्रांति के भंजन में समय लगाता है। ये दोनों एक ही प्रक्रिया के अंग हैं। ___ हम सब भ्रांति के सृजन में जीवन व्यतीत करते हैं। नीत्से ने कहा है, मैन कैन नाट लिव विदाउट इल्यूजन्स। जरूरी हैं भ्रांतियां, उन्हीं के सहारे आदमी जीता है, नहीं तो नहीं जी सकता। नीत्से दूर तक ठीक कहता है। जहां तक हमारा संबंध है, नीत्से सौ प्रतिशत ठीक कहता है, आदमी बिना भ्रांतियों के नहीं जी सकता। हजार तरह की भ्रांतियां उसके चारों तरफ चाहिए। उन्हीं के बीच वह जी सकता है। तो नीत्से ने कहा है, इल्यूजन्स आर नेसेसरी। भ्रम भी जरूरी हैं, और झूठ भी उपयोगी हैं। नीत्से ने तो बहुत बढ़िया बात कही है। उसने तो यह कहा है कि सत्य का कोई अर्थ ही नहीं है। जो असत्य काम पड़ जाए, वही सत्य है। और असत्य काम पड़ते हैं, चौबीस घंटे काम पड़ रहे हैं। थोड़ा सा हम देख लें कि किस भांति काम पड़ते हैं। ___ हमें कोई पता नहीं है कि आत्मा अमर है, लेकिन अब जिंदा रहना है, तो मन में यह खयाल लेकर चलना चाहिए कि आत्मा अमर है, नहीं तो जिंदा रहना मुश्किल हो जाएगा। हमें कोई पता नहीं है कि प्रेम शाश्वत होता है। चारों तरफ देखें तो क्षणिक होता है, शाश्वत नहीं होता है। सब क्षण में बिखर जाता है। लेकिन अगर जिंदा रहना है, तो मानकर चलना चाहिए कि प्रेम शाश्वत चीज है। कविताएं बड़ी जरूरी हैं आदमी के आसपास जीने के लिए। उनके सहारे वह अपने को भुलाए रखता है। 17266


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