Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 279
________________ भ्रांति भंजन, कामादि वृत्ति दहन, अनाहत मंत्र और अक्रिया में प्रतिष्ठा में पड़ जाता है। क्योंकि संन्यासी भ्रम नहीं पोसना चाहता और जो भी उसके पास रहेगा, वह भ्रम पोसना चाहता है। अगर संन्यासी सत्य के ही साथ सीधा जीता है, तो जो भी उसके निकट है, वह अड़चन में पड़ना शुरू हो जाता है। क्योंकि संन्यासी ऐसी बातें कहेगा, इस ढंग से जीएगा कि आप अपने भ्रमों को न पोस पाएंगे। इसलिए एक बहुत दुर्घटना इस जमीन पर घटती रही है और वह यह है कि इस जमीन पर जिन लोगों ने भी सत्य की खोज की है, उनके आसपास के लोग कभी भी उनको प्रेम भी नहीं कर पाए और कभी उनको समझ भी नहीं पाए। सुकरात की पत्नी तक, जो निकटतम थी उसके, उसको नहीं समझ पाई, क्योंकि सुकरात कोई भ्रम में सहायता न देगा, किसी भ्रम में सहायता न देगा। तो सुकरात और उसकी पत्नी की कलह अनिवार्य हो गई, क्योंकि पत्नी चौबीस घंटे भ्रमों की मांग कर रही है और सुकरात कोई भ्रम नहीं दे सकता। पत्नी के मन में कहीं तो आकांक्षा होती है कि कभी सुकरात कहे कि तुम सुंदर हो। लेकिन सुकरात कहता है, सौंदर्य तो मन का भाव है। शरीर से उसका कोई संबंध नहीं है। खयाल है। उसका कोई अर्थ नहीं है। अब यह पत्नी बड़ी मुश्किल में पड़ेगी। पत्नी चाहती है कि सुकरात कभी कहे कि तुम्हारे बिना मैं न जी सकूँगा। सुकरात कहता है, सब सबके बिना जी सकते हैं। बल्कि अगर सुकरात से सच पूछो, तो वह कहेगा कि तुम्हारे बिना मैं ज्यादा आसानी से जी सकूँगा। लेकिन यह पत्नी के मन को तो बड़ी तकलीफ • होगी, बड़ी पीड़ादाई हो जाएगी बात। बहुत कठिन हो जाएगा, क्योंकि उसके कोई सपने खड़े न हो पाएंगे और वह तैयारी में नहीं है तोड़ने की। ___ इसलिए जब जीसस ने अपनी मां को कहा कि कोई मेरी मां नहीं है, कोई मेरा पिता नहीं है, तो हम समझ सकते हैं कि मां को कैसी पीड़ा हुई होगी। बेटा चोर होता, बेईमान होता और कह देता कि कोई मेरी मां नहीं, तो मां प्रसन्न भी हो सकती थी कि झंझट मिटी। बदनामी अपने सिर न आएगी। बेटा हो गया है पैगंबर। हजारों लोग उसे भगवान का बेटा मानने लगे हैं। मां बहुत आतुरता से आई होगी कि भीड़ के सामने जीसस कह देगा कि तू मेरी मां है। और जीसस ने कह दिया कि नहीं, कौन किसकी मां! कौन किसका बेटा! कोई किसी का कोई भी नहीं है। तो हम समझ सकते हैं कि मां को, मां के भ्रम को कैसा धक्का लगा होगा। ____ जब बुद्ध ने अपने पिता को कहा कि आप नहीं जानते कि मैं कौन हूं, आप मुझे नहीं पहचानते। तो बुद्ध के पिता तो क्रोध से भर गए। उन्होंने कहा, मैं तुझे नहीं पहचानता? मैंने तुझे पैदा किया! ये तेरी हड्डियां, और तेरा खून, और तेरा मांस मेरा है। तेरी रगों में जो बह रही है ताकत, वह मेरी है। और मैं तुझे नहीं पहचानता? तू नहीं था, उसके पहले मैं था। बुद्ध ने कहा, वह सब ठीक है। वह खून भी आपका होगा, हड्डियां भी आपकी होंगी, वह शरीर भी आपका होगा, लेकिन मेरा उससे कुछ लेना-देना नहीं, मैं और ही हूं। बुद्ध के बाप ने कहा, तू मुझ से पैदा हुआ है! बुद्ध ने कहा, वह भी ठीक है। लेकिन आप एक चौराहे की तरह थे, जिस पर से मैं आया, लेकिन मेरी यात्रा आपके मिलने के बहुत पहले से चल रही है। आप एक रास्ता थे, जस्ट ए पैसेज, जिससे मैं आया, वह ठीक है। लेकिन अगर दरवाजा यह कहने लगे कि चूंकि मैं उसमें से निकला, इसलिए वह मुझे जानता है, तो भ्रांति हो जाएगी। बाप तो आग-बबूला हो गए। उन्होंने कहा, तू मुझे सिखाता है? सभी बाप आग-बबूला हो जाएंगे कि तू मुझे सिखाता है? बुद्ध सत्य की 269 7

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