Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 268
________________ निर्वाण उपनिषद मैं पूरे मुल्क में घूमा। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि आपने जो बात कही, वह हमारी तो समझ में आ गई, लेकिन साधारण आदमी की समझ में कैसे आएगी। पहले मैं सोचा कि कभी तो वह साधारण आदमी भी एकाध दफे आएगा और कहेगा, असाधारण लोगों की समझ में तो आ गई, मुझ साधारण की समझ में नहीं आती। वह अभी तक नहीं आया. वह साधारण आदमी। जब भी आता है, असाधारण आदमी आता है। वह कहता, हमारी समझ में तो आ गई, साधारण आदमियों की समझ में कैसे आएगी! अपने को छोड़कर बाकी को वह सब साधारण समझता है। वे बाकी भी यही समझते हैं। हर आदमी अपना मैजिक बैग लिए है, उसमें से चीजें निकालता रहता है। कोई उसकी मानता नहीं, लेकिन वह अपनी तो मानता ही है। ___ मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन अपनी पत्नी से कह रहा है कि तुझे मालूम है कि इस दुनिया में कितने महान पुरुष हैं? मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी ने कहा कि मुझे पक्का, भलीभांति मालूम है। तुम जितने सोचते हो, उससे एक कम। मुल्ला ने कहा, बर्बाद कर दिया। एक ही तो हम सोचते हैं। खतम। फैसला ही हो गया। घटाने की कोई जरूरत नहीं, एक तो हम सोचते ही हैं। दो का सवाल कहां है। नसरुद्दीन की पत्नी भी जानती है कि वह महान पुरुष कौन है, इसलिए उसने पहले ही एक घटा दिया कि तुम एक तो घटा ही दो, बाकी संख्या कोई भी हो, मैं राजी हो जाऊंगी। हर आदमी अपने आसपास एक भ्रम-जाल खड़ा करके जी रहा है। उस भ्रम-जाल में वह न मालूम क्या-क्या निर्मित करता रहता है। वह सब माया है। वह सब झूठ है। वह है नहीं, वह सिर्फ दिखाई पड़ता है। और दिखाई भी उसको पड़ता है, जो देखने के लिए आतुर है। वह भी जरा सम्हलकर देखेगा तो दिखाई नहीं पड़ेगा, बैग खाली पाएगा। वहां कुछ भी नहीं है। ऋषि कहता है कि जिन्होंने अपनी माया, ममता, अपने अहंकार...उलटा चल रहा है। माया सबसे बड़ा घेरा है हमारे भ्रम का। उसके बाद जो सेकेंड, जो दूसरी परिधि है, घेरा है, वह है ममता। और उसके भीतर जो सेंट्रल फोर्स है, वह है अहंकार। वह जो केंद्र पर शक्ति है, उसका ही यह सारा फैलाव है। जो माया को, ममता को, अहंकार को, जैसे मरघट पर जला दे चिता में, ऐसा जला देता, वही अनाहत अंगी है। यह शब्द बहुत अदभुत है, अनाहत अंगी। इसका अर्थ है, वही पूर्ण व्यक्तित्व है। अनाहत, जिसका एक भी अंग आहत नहीं हुआ, जो पूर्ण है, द होल। अंग्रेजी में शब्द है होली। होली बनता है होल से। पवित्र वही है, जो पूर्ण है। पावन वही है, जो पूर्ण है। जिसका कोई भी अंग आहत नहीं, खंडित नहीं। लेकिन आदमी अजीब-अजीब काम करने लगता है। ऐसी कौमें हैं जमीन पर कि वे आपरेशन नहीं करवाती शरीर के किसी अंग का। क्योंकि अगर आहत होकर मरे, खंडित होकर मरे! अगर कभी मौके-बेमौके ऐक्सीडेंट हो जाए, हाथ टूट जाए, कुछ हो जाए, तो उसको सम्हालकर रखते हैं। फिर जब आदमी मर जाता है, तो उसके हाथ वगैरह को जोड़कर, अनाहत अंगी करके, पूरे अंग करके उसको दफना देते हैं। ___ यह मतलब नहीं है। लंगड़ा भी अनाहत अंगी हो सकता है, अंधा भी अनाहत अंगी हो सकता है। 7258

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