Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 269
________________ असार बोध, अहं विसर्जन और तुरीय तक यात्रा-चैतन्य और साक्षीत्व से शरीर बिलकुल न रहे, तो भी अनाहत अंगी हो सकता है। अनाहत अंगी होने का मतलब इस शरीर के अंगों से नहीं है। अनाहत अंगी होने का अर्थ है, भीतर जो अखंड है, एक है, बिना टूटा-फूटा है। जिसके भीतर कोई खंड नहीं, विभाजन नहीं, द्वैत नहीं, दुई नहीं। जिसके भीतर जिसे पूर्ण का अनुभव होता है, जिसे फुलफिलमेंट का अनुभव होता है, जिसे लगता है, बस सब पा लिया, अब कुछ पाने को नहीं। अगर परमात्मा भी सामने आकर पूछे कि कुछ और चाहिए? तो ऐसा अनाहत अंगी जो है, वह चुपचाप रह जाएगा। वह कहेगा कि जो है, वह पूर्ण से ज्यादा है। अब और क्या हो सकता है! अब कुछ भी नहीं चाहिए। ___अनाहत अंगी का यह भी अर्थ है कि जो इंटीग्रेटेड है, समग्र है। जिसके भीतर भीड़ नहीं है, जिस पर भरोसा किया जा सकता है। ____ हम तो एक भीड़ हैं। हमें कोई कठिनाई नहीं है। अगर आप क्रोधित हैं, तो समझदार आदमी को इससे कोई चिंता नहीं पैदा होती, क्योंकि यह आपका पूरा हिस्सा नहीं, सिर्फ एक अंग है। दूसरा अंग है, उसको जरा फुसलाया जाए, आपका क्रोध चला जाएगा। वह दूसरा अंग निकल आएगा सामने। आप कितने ही नाराज हैं, आप कितने ही दुखी हैं, पीड़ित हैं, सब बदला जा सकता है। क्योंकि आपके दूसरे हिस्से भीतर पड़े हैं, उन्हें जरा ऊपर लाने की जरूरत है। • इंटीग्रेटेड का अर्थ है समग्र, जो एक ही है अपने भीतर। उसके वचन का वही अर्थ है, जो है। उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन आपको तो आपके छोटे-छोटे बच्चे बदल लेते हैं। छोटा बच्चा कहता है, खिलौना चाहिए डैडी। आप भारी अकड़ दिखलाते हैं कि नहीं, कल ही लिवाया था। लेकिन बच्चा जानता है कि आप में कितनी अकड़ है और कितनी अकड़ आपकी चलेगी। वह वहीं खड़ा है। वह कहता है, चाहिए। अब की दफां आप जरा डरकर देखते हैं। फिर भी रौब दिखाने की कोशिश करते हैं कि देखो, मैंने तुमसे कहा कि नहीं, अभी संभव नहीं है। वह वहीं खड़ा है। वह जानता है कि तुम्हारी कितनी ताकत है। थोड़ी देर में तुम्हारे दूसरे हिस्से को फुसला लेंगे। तीसरी बार आप हां भर देते हैं। ___ और एक दफे आपने यह कर दिया कि बच्चा सदा के लिए पहचान गया कि आप एक आदमी नहीं हैं, आपकी बात का कोई पक्का भरोसा नहीं है। आपको बदला जा सकता है। जरा जोर से पैर पटको, शोरगुल करो और आपको रास्ते पर लाया जा सकता है। ___छोटे-छोटे बच्चे भी डिक्टेटोरियल ट्रिक सीख जाते हैं। आपको चलाते रहते हैं। आप समझते हैं कि आप अपने छोटे बच्चे को चला रहे हैं। बड़ी भूल में हैं। छोटे बच्चे भलीभांति जानते हैं कि आपकी कमजोरियां क्या हैं, कहां से आपको परेशान किया जा सकता है। छोटे-छोटे बच्चे तक अपने डैडी से कहते हैं कि हम मम्मी से कह देंगे। नसरुद्दीन का बेटा नसरुद्दीन से पूछ रहा था, आप शेर से डरते हो? नसरुद्दीन ने कहा, बिलकुल नहीं। हाथी से डरते हो? नसरुद्दीन ने कहा, कैसी बातें कर रहा है, हाथी से मैं डरूंगा? हाथी मुझसे डरते हैं। सांप से डरते हो? नसरुद्दीन ने कहा, उठाकर फेंक देता हूं सांप को। पहाड़ से डरते हो? समुद्र से डरते हो? नसरुद्दीन ने कहा, किसी से नहीं डरता बेटा। तो उसके बेटे ने कहा, तो क्या मम्मी को छोड़कर 259 V

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