Book Title: Nayopdesh Part 02 Tarangini Tarni Author(s): Yashovijay Gani, Lavanyasuri Publisher: Vijaylavanyasuri Gyanmandir View full book textPage 3
________________ 6-0-0 6-0-0 6-0-0 6-0-0 8-0-0 4-0-0. नूतन-मुद्रित ग्रंथो(१) ' श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनम् ' [ बृहद्वृत्ति- बृहन्न्यास लघुन्यासादिसहित प्रथम विभाग 1 (2) 'तिलकमञ्जरी' [टिप्पणक-परागवृत्तिसहित प्रथम विभाग ] (3) 'तिलकमञ्जरी' [ द्वितीय विभाग (4) 'नयोपदेश' [ तरङ्गिणीतरणिवृत्तिसहित प्रथम विभाग ] (5) 'नयोपदेश' [ , द्वितीय विभाग ] (6) 'अनेकान्तव्यवस्था' [ तत्त्वबोधिनीवृत्तिसहित प्रथम विभाग ] (7) 'सिद्धहेमलघुवृत्ति' [ त्रयोदशपरिशिष्टसहित ] (8) 'शास्त्रवार्तासमुच्चय' [स्याद्वादवाटिकाटीकायुक्त प्रथम विभाग] (9) 'धातुरत्नाकर' [13 परिशिष्टसहित प्रथम विभाग, द्वितीयावृत्ति ] (10) 'धातुरत्नाकर' [ अष्टम विभाग] (11) 'द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका' [किरणाबलीवृत्तिसहित, प्रथमा ] (12) 'द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका' / द्वितीया]] (13) 'द्वात्रिंशद् द्वात्रिंशिका' [ , तृतीया] (14) 'रत्नाकर-पञ्चविंशिका' [वृत्ति सहित] (15) 'गौतमस्वाम्यष्टकम् [वृत्ति सहित] (16) 'जैनधर्म अने तेनी प्राचीनता' (17) 'ए तारा ज प्रतापे' (18) 'ए धर्मना ज प्रतापे' (19) 'आत्मनिन्दाद्वात्रिंशिका [प्रकाश वृत्तिसहित ] (20) 'श्रीवर्द्धमान-पंचाशिका' 12-0-0 1-0-0 1-0-0 1-0-0 0-12-0 2-0-0 1-4-0 मुद्द्यमाण ग्रंथो(१) 'सिद्धहेमशब्दानुशासनम् ' [ बृहन्न्यासादिसहित द्वितीय विभाग ] (2) 'तिलकमञ्जरी' [टिप्पणकादिसहित तृतीय विभाग] (3) 'शास्त्रवासिमुच्चय' [ स्याद्वादवाटिकासहित द्वितीय विभाग] (4) 'काव्यानुशासनम् ' [ टीकाद्वयसहित प्रथम विभाग ] (5) 'द्वात्रिंशिका' [ सटीक चतुर्थी ] (6) 'न्यायसमुच्चय' [ टीकाद्वयसहित ] (7) 'अनेकान्तव्यवस्था' [ तत्त्वबोधिनीसहित द्वितीय विभाग ] (8) 'स्याद्यन्तरत्नाकर' [द्वितीय विभाग ] (9) 'स्याद्यन्तसरिता' [लघुसंस्कृतशब्दारूपावलि ]Page Navigation
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