Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya
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-xvi.115] नायाधम्मकहाओ
19 णं सा सूमालिया दारिया उम्मुक्केबालभावा जाव रूवेणं य जोव्वणेण य लावण्णेण य उकिट्ठा उकिट्ठसरीरा जाया यावि होत्था । . (115) तत्थ णं चंपाए नयरीए जिणदत्ते नामं सत्थवाहे अड्डे । तस्स णं जिणदत्तस्स भद्दा भारिया सूमाला इट्ठा माणुस्सए कामभोगे पञ्चणुब्भवमाणा विहरंइ । तस्स णं जिणदत्तस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सागरए नामं दारए सुकुमाले जाव सुरूवे । तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे अन्नया कयाइ सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ २ सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स अदूरसामतेणं वीईवयइ । इमं च णं सूमालिया दारिया व्हाया चेडियासंघपखुिडा उप्पि आगासतलगंसि कणगतिदूसएणं कीलमाणी विहरइ । तए णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सूमालियं दारियं पासइ २ सूमालियाए दारियाए रूवे य ३ जायविम्हए कोडुबियपुरिसे सहावेइ २ एवं वयासी - एस णं देवाणुप्पिया! कस्स दारिया किं वा नामधेनं से ? तए णं ते कोडंबियपुरिसा जिणदत्तणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा हहतुट्ठा करयल जाव एवं वयासी-एस णं सागरदत्तस्स २ धूया भहाए अत्तया सूमालिया नामं दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव उकिट्ठा । तए णं जिणदत्ते सत्थवाहे तेर्सि कोडुंबियाणं अंतिए एयमहें सोचा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ २ व्हाए मित्तनाइपरिखुडे चपाए नयरीए मज्झमझेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागए । तए णं से सागरदस्ते २ जिणदत्तं २ एजमाणं पासइ २ आसणाओ अब्भुढेइ २ आसणेणं उवनिमंतेइ २ आसत्थं वीसत्थं सुहासणवरगयं एवं वयासी - भण देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं । तए णं से जिणदत्ते सागरदत्तं एवं क्यासी- एवं खलु अहं देवाणुप्पिया! तव धूयं भदाए अत्तियं सूमालियं सागरस्स भारियत्ताए वरेमि । जइ णं जाणह देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा सरिसो वा संजोगो ता दिजउणं समालिया सागरदारगस्स । तए णं देवाणुप्पियाँ ! किं दलयामो सुकं च सूमालियाए ? तए णं से सागरदचे २ जिणदत्तं २ एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! समालिया दारियां एगा एगजाया
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