Book Title: Nayadhamma Kahao
Author(s): N V Vaidya
Publisher: N V Vaidya
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नायाधम्मकहाओ
[ XVI.1 3.
चक्कवट्टी वा चक्कवट्टि पासंति बलदेवा वा बलदेवं पासंति वासुदेवा वा वासुदेवं पासंति । तहवि य णं तुमं कण्ट्स्स वासुदेवस्स लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीईवयमाणस्स सेयापीयाइं धयग्गाईं पासिहिसि । तणं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदइ नमंसइ २ हस्थिबंधं दुरूहइ २ सिग्घं तुरियं जेणेव वेलाकूले तेणेव उवागच्छइ २ कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्दं मज्झंमज्झेणं वीईवयमाणस्स सेयापीयाई धयम्गाई पासइ २ एवं वयइ एस णं मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासुदेवे लवणंसमुदं मज्झमज्झेणं वीईवयइ त्तिकट्टु पंचयन्नं संखं परामुसइ २ मुहवायपूरियं करेइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसद्दं आयण्णेइ २ पंचयन्नं जाव पूरियं करेइ । तए णं दोवि वासुदेवा संखसद्दसमायारिं करेंति । तए णं से कविले वासुदेवे जेणेव अवरकंका तेणेव उवागच्छइ २ अवरकंकं रायहाणिं संभग्गतोरणं जाव पासइ २ पउमनाभं एवं वयासी - किन्नं देवाणुप्पिया ! एसा अवरकंका संभग्ग जाव सन्निवइया ? तए णं से पउमनाभे कविलं वासुदेवं एवं बयासी – एवं खलु सामी ! जंबुद्दीवाओ २ भारहाओ वासाओ इहं हव्वमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुब्भे परिभूय अवरकंका जाव सन्निवडिया। तए णं से कविले वासुदेवे पउमनाभस्स अंतिए एयमहं सोच्चा पउमनाभं एवं वयासी - हं भो पउमनाभा ! अपत्थियपत्थिया ५ किन्नं तुमं जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे ?आसुरुत्ते जाव पउमनाभं निव्विसयं आणवेइ पउमनाभस्स पुत्तं अवरकंकाए रायहाणीए महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचइ जाव पडिगए । (131) तए णं से कण्हे वासुदेवे लवणसमुहं मज्झमज्झेणं वीईवयइ ते पंचपंडवे एवं वयासी - गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगं महानई उत्तरह जाव ताव अहं सुट्ठियं लवणाहिवई पासामि । तए णं ते पंच पंडवा कण्हेणं २ एवं वृत्ता समाणा जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छंत २ एगट्टियाए नावाए मग्गणगवेसणं करेंति २ एगट्टियाए नावाए गंगं महान उत्तरति २ अन्नमन्नं एवं वयंति - पहू णं देवाणुप्पिया !
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