Book Title: Natak Ho To Aise
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 7
________________ नाटक हो तो ऐसे दूसरे दिन राजा की नाट्यशाला खचाखच भरी हुई थी. वाह ! नाट्यशाला देखो .. सजावट कितनी सुन्दर. अरे ! वह देखो, सिंहासन के पास बकरा ? पर वह क्यों बंधा है ? 606 उपस्थित जनता बेसब्री से - प्रतिभा. कर रही थी.. तभी... एक खूंखार शेर ने छलांग मारकर सभा मण्डप में प्रवेश किया. परे ! ये डरपोक पेशाब ही कर बैठा ०) TEEY LIC सिंह का विकराल रूप देखकर कुछ दर्शक तो भयभीत होकर भागने लगे. तभी...

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