Book Title: Natak Ho To Aise
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 29
________________ अंगारक. २ . प्रिय अंगारक!अबकी बार ऐसे आभूषण बनाओ जैसे अब तक किसी ने न बनाये हों। जैसी आपकी इच्छा. और शबाने सोना व अमूल्य नगीना देकर विदा किया। अंगारक भोना व नगीना लेकर अपने घर गहने बनाने लगा। अजी उठो! मुह से काम कर रहे हो,दसू बज गये, भोजन करलो वह भोजन के लिये हाथ - मुंह घोने घर के बाहर आता है। हाहा! अभी आता र

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