Book Title: Natak Ho To Aise
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 28
________________ 28 मुक्ति कॉमिक्स तभी एक महिला ने पू. . वाह सेठानी ! ये कंगन हार बहुत सुन्दर हैं; कब खरीदा, फिसने बनाया .... अरे मुई! अब तक कहा थी? जब सारा घर जलकर राख हो गया. तब हार कंगन की तारीफ कर रही है। सत पर बताओ एसे गहने अब तकनर The ०० आल! जिन गहनो के शौक ने मेरे भुख-चैन छीने , यहाँ तक घर में भी आग लगा दी, और तो और इसफो" बनाने वाला अंगाखा अरी ! ये अंगारक कौन है? जश मैं भी तो भु: इस देश के राजा के यहाँ अत्यन्त बुद्धिमान प-चतुर अंगारक नाम का एक सुनार था। एक दिन राजा ने आदेश दिया

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